Bihar Politics:दो दशक बाद नीतीश ने छोड़ा अपना लौह किला, गृह विभाग पर भाजपा की पकड़, सत्ता संतुलन में बदलता समीकरण अस कारण है खास, पढ़िए
Bihar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रालयों का बँटवारा करते हुए पहली बार यह बेहद अहम और संवेदनशील विभाग अपने पास रखने के बजाय उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी को सौंप दिया।
Bihar Politics:बिहार की राजनीति में दो दशकों बाद वह मंजर दोबारा उभरा है, जब सत्ता के केंद्र गृह विभाग पर नई हलचल देखी गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रालयों का बँटवारा करते हुए पहली बार यह बेहद अहम और संवेदनशील विभाग अपने पास रखने के बजाय उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी को सौंप दिया। सियासी दायरे में इसे महज़ पोर्टफोलियो आवंटन नहीं, बल्कि एनडीए के भीतर बदलते रिश्तों, बढ़ते असर और सत्ता-संतुलन के नए नक्शे के तौर पर देखा जा रहा है। बदले में जेडीयू ने वित्त और वाणिज्य कर जैसे महत्वपूर्ण विभाग अपने हिस्से में कर लिए यानी दोनों दलों ने अपनी-अपनी ‘ताक़त’ का प्रदर्शन करते हुए परदे के पीछे एक बड़ा समझौता साधा।
बिहार में गृह विभाग हमेशा से सत्ता का तख़्त-ओ-ताज माना जाता रहा है। क्योंकि यही विभाग राज्य की पुलिस, खुफिया तंत्र, आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की बागडोर संभालता है। पिछले 20 बरस में चाहे नीतीश की डोर बीजेपी के साथ रही हो या राजद के साथ—उन्होंने इस ‘क्राउन ज्वेल’ को कभी हाथ से फिसलने नहीं दिया। 2005 में पहली बार सत्ता में आने से लेकर महागठबंधन के उतार-चढ़ाव तक, गृह विभाग सीएम ऑफिस का सबसे सुरक्षित किला रहा। लेकिन इस बार यह किला बीजेपी को सौंप दिया गया यानी सियासत की ज़मीन पर नया कब्ज़ा, नया आत्मविश्वास और नई शक्ति-रेखा खिंच चुकी है।
सम्राट चौधरी ने विभाग संभालते हुए साफ किया कि वे नीतीश के ‘सुशासन मॉडल’ को आगे बढ़ाएंगे। लेकिन राजनीतिक व्याख्या बिल्कुल साफ है अब राज्य की कानून-व्यवस्था पर बीजेपी की सीधी मुहर लगेगी। विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी अब सुरक्षा नीति से लेकर पुलिस सुधार तक, हर मुद्दे पर निर्णायक भूमिका में होगी। यह बदलाव उतना ही अहम है, जितना सरकार बनना—क्योंकि बिहार के हालात में ‘कानून का राज’ ही सियासी हथियार है।
बीजेपी के लिए यह एक रणनीतिक जीत है। चुनाव प्रचार में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने सीमांचल में अवैध घुसपैठ, अपराध और सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाया था। अब गृह विभाग उनके पास है, तो बीजेपी अपना केंद्रीय एजेंडा ज़मीन पर उतार सकेगी। अपराध बढ़ने पर सहयोगियों द्वारा की गई आलोचना का जवाब भी अब उसी विभाग से दिया जाएगा, जो पहले नीतीश के हाथों में था।
इधर जेडीयू ने वित्त, प्लानिंग, एनर्जी, रूरल डेवलपमेंट और माइनॉरिटी वेलफेयर जैसे विभाग संभालकर अपने प्रशासनिक ‘पावर सेक्टर’ को मज़बूत किया है। वहीं दो पुराने मंत्रियों की छुट्टी कर विभाग विजय कुमार चौधरी को दे देना इस बात का संकेत है कि जेडीयू भी आंतरिक पुनर्गठन कर रही है।
कुल मिलाकर, बिहार राजनीति में यह बदलाव सिर्फ मंत्रालयों की फेरबदल नहीं यह अगले चुनाव की बिसात, सत्ता का नया गणित और एनडीए के भीतर बदलती ताक़तों का इशारा है। गृह विभाग बीजेपी के पास जाना इस दौर की सबसे बड़ी सियासी घटना है।