Bihar domicile policy: बिहार में डोमिसाइल नीति पर गरमाया माहौल! विधानसभा चुनाव के पहले छात्र आंदोलन की वजह से तेज हुई राजनीतिक हलचल

Bihar domicile policy: बिहार में डोमिसाइल नीति को लेकर छात्र सड़कों पर हैं। जानें क्यों मांग कर रहे हैं 100% स्थानीय आरक्षण की, और सरकार पर क्या है दबाव।

Bihar domicile policy
डोमिसाइल नीति को लेकर आंदोलन करते छात्र- फोटो : SOCIAL MEDIA

Bihar domicile policy: डोमिसाइल नीति का अर्थ है – किसी राज्य में सरकारी नौकरियों में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता देना। यह नीति पहले बिहार में भी लागू थी, लेकिन इसे हटाया जा चुका है। वहीं हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे कई राज्यों में यह अब भी लागू है, जहां सरकारी नौकरियों में एक तय प्रतिशत स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित रहता है।

बिहार में यह मुद्दा इसलिए गरमा गया है क्योंकि बेरोजगारी चरम पर है और प्रतियोगी परीक्षाओं में देश के अन्य राज्यों के छात्र बिहार आकर नौकरियां हासिल कर लेते हैं। इससे स्थानीय युवाओं को अवसर कम मिलते हैं। यही वजह है कि छात्रों की प्रमुख मांग है कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती में 100% डोमिसाइल लागू हो। BPSC, पुलिस, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती में 90% स्थानीय आरक्षण मिले।छात्रों का मानना है कि "बिहारी युवाओं का पहला अधिकार बिहार की नौकरियों पर होना चाहिए"।

पटना की सड़कों पर उतरे छात्र: आंदोलन की शुरुआत और पुलिस की बैरिकेडिंग

1 अगस्त 2025 को बिहार स्टूडेंट यूनियन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में छात्र पटना कॉलेज से मार्च करते हुए जेपी गोलंबर तक पहुंचे। उनकी योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास तक जाकर अपनी मांगें रखने की थी, लेकिन पुलिस ने गांधी मैदान के पास ही उन्हें रोक दिया।

जैसे ही छात्र आगे बढ़ने लगे, पुलिस से धक्का-मुक्की हुई। इस दौरान छात्रों और सुरक्षाबलों के बीच हल्की झड़प भी देखने को मिली। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की।

छात्रों का स्पष्ट संदेश: डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं– यह नारा तेजी से फैल रहा है और 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह मुद्दा सरकार के लिए चुनौती बन सकता है।

छात्रों की मांगें और तर्क: क्या वे जायज़ हैं?

छात्रों का मुख्य तर्क यह है कि

अन्य राज्यों में पहले से लागू है: हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों ने पहले से डोमिसाइल नीति लागू की हुई है।

बिहार में बेरोजगारी चरम पर: बड़ी संख्या में युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं लेकिन बाहरी छात्रों से मुकाबला करना मुश्किल होता है।

सरकारी नौकरियों में बाहरी छात्रों का बोलबाला: स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर नहीं मिलते क्योंकि अन्य राज्यों के छात्र बेहतर संसाधनों और कोचिंग के सहारे चयनित हो जाते हैं।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: चुनावी वर्ष में बढ़ा दबाव

2025 का यह साल बिहार में चुनावी वर्ष है और ऐसे में कोई भी मुद्दा राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील हो जाता है। छात्रों ने सीधे तौर पर धमकी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो पूरे राज्य में आंदोलन होगा और इसका असर वोटिंग पर भी पड़ेगा।

सत्तारूढ़ पार्टी पर सीधा हमला: नीतीश सरकार से छात्रों की सीधी मांग है कि वह नीति को पुनः लागू करें।

विपक्षी दलों की चुप्पी भी सवालों में: विपक्ष ने अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस रुख नहीं लिया है, जिससे छात्र समुदाय में नाराज़गी है।