बिहार के एक और उत्पाद को मिलेगा जीआई टैग ! जर्दालु आम, शाही लीची, कतरनी चावल, मिथिला मखाना, मगही पान, मर्चा चूड़ा के बाद जानिए किसका नंबर

बिहार के कृषि उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने और पूरी दुनिया में उसकी मांग को बढ़ाने की पहल के तहत लगातार जीआई टैग दिलाने के लिए कई उत्पादों को उस श्रेणी में लाया जा रहा है. इसी क्रम में एक और बिहार उत्पाद जीआई टैग की लाइन में है.

Bihar Dudhiya Maldah
Bihar Dudhiya Maldah- फोटो : news4nation

GI Tag for Bihari Product : बिहार के कई उत्पाद हैं जिसे जीआई टैग मिला हुआ है. भागलपुर का जर्दालु आम, मुजफ्फरपुर की शाही लीची, कतरनी चावल, मिथिला मखाना, मगही पान, मर्चा चूड़ा ऐसे उत्पाद हैं जिन्हें जीआई टैग मिला हुआ और देश-विदेश में इनकी व्यापक मांग है. इसी कड़ी में अब एक और बिहारी उत्पाद को जीआई टैग दिलाने की पहल की है. फलों के राजा आम की कई किस्में बिहार में हैं. इसमें दुधिया मालदह की खास पहचान है. अब इसे जीआई टैग दिलाने की पहल कृषि विभाग की ओर से की गई है. 


दरअसल, कृषि एवं बागवानी क्षेत्र में नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने हेतु सचिव कृषि विभाग संजय कुमार अग्रवाल ने कृषि अनुसंधान संस्थान, पटना का भ्रमण किया। सचिव कृषि विभाग ने संस्थान द्वारा बागवानी के विभिन्न फसलों के गुणवत्तायुक्त पौध सामग्री तैयार करने की प्रक्रिया का अवलोकन किया, साथ ही, पौधे के मातृ वृक्ष के संरक्षण को देखा तथा वैज्ञानिकों को किसानों के लिए गुणवत्तायुक्त पौधे उपलब्ध कराने हेतु आवष्यक निदेष दिया गया। सचिव कृषि ने दुधिया मालदह को जी0 आई0 टैग दिलाने हेतु किये जा रहे प्रक्रिया की अद्यतन स्थिति की जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद एवं सचिव, कृषि ने संस्थान परिसर में दुधिया मालदह आम के पौधे का रोपण कर इस प्रजाति को राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया।

दुधिया मालदह आम के संरक्षण को मिला प्रोत्साहन

दुधिया मालदह आम की विशिष्टता को देखते हुए सचिव ने इसके पौधों की गुणवत्ता, मातृ वृक्ष तथा उत्पादन प्रणाली का सूक्ष्म निरीक्षण किया। इसके साथ ही संस्थान से पौधों की खरीद कर आम जनमानस को स्थानीय किस्मों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए प्रेरित किया। संस्थान द्वारा इस वर्ष तैयार किए गए 5000 पौधों की बिक्री जुलाई के प्रथम सप्ताह से 80-100 रुपये प्रति पौधा की दर से की जाएगी। इसके अलावा जर्दालु आम के 1000-1200 पौधे, आम्रपाली के 500-800 पौधे, दशहरी के 250-400 पौधे, अमरूद के 1000-1200 पौधे, कटहल के 250-300 पौधे एवं नींबू के 1000-1200 पौधे वर्तमान में तैयार है।


अग्रवाल ने कहा कि दीघा के दुधिया मालदह का दूसरे जिलों में भी क्षेत्र विस्तार किया जायेगा। पौध रोपन के लिए प्रत्येक जिलों  में उद्यान निदेशालय से 200-200 पौधे भेजे जायेंगे। इस पहल से न केवल इस विशिष्ट प्रजाति का संरक्षण संभव होगा बल्कि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले फल उत्पादन का लाभ भी मिलेगा।  सचिव, कृषि ने संस्थान की विविध गतिविधियों जैसे कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र, आधुनिक नर्सरी, औषधीय एवं सुगंधित पौधों का कैफेटेरिया, अमरूद के मातृ वृक्ष, वर्मी कम्पोस्ट इकाई एवं हर्बल होम शो-केस का भी अवलोकन किया। इन गतिविधियों में हो रहे नवाचारों को उन्होंने सराहा तथा इनके और विस्तार के लिए सुझाव दिए।


किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए प्रशिक्षण की योजना पर बल

सचिव श्री अग्रवाल ने निर्देश दिया कि संस्थान द्वारा आस-पास के शहरी एवं ग्रामीण किसानों, महिलाओं तथा युवाओं को वर्मी कम्पोस्ट, मशरूम उत्पादन, नर्सरी प्रबंधन जैसे विषयों पर नियमित प्रशिक्षण दिया जाए। इससे प्रशिक्षणार्थी कृषि क्षेत्र में उद्यमी बनकर आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हो सकेंगे।