Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति में चुनाव से पहले हलचल!भाजपा के इस बड़े नेता ने दे दिया इस्तीफा, नए पार्टी का किया निर्माण
Bihar Election 2025: पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रामाधार सिंह ने पार्टी से बगावत कर “मगध विकास मोर्चा” की घोषणा की है। जानिए उनके नए संगठन, उम्मीदवारों और वादों की पूरी कहानी।

Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति में रविवार को एक बड़ा मोड़ आया जब पूर्व सहकारिता मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे रामाधार सिंह ने पार्टी से बगावत कर दी। उन्होंने साफ ऐलान किया कि वे अब भाजपा के साथ नहीं रहेंगे और एक नया राजनीतिक संगठन “मगध विकास मोर्चा” बनाकर आगामी विधानसभा चुनाव में उतरेंगे।
रामाधार सिंह ने बताया कि उन्होंने सीधे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को फोन पर कह दिया – “अब इस पार्टी में नहीं रहना है।” सोमवार को वे औपचारिक रूप से मोर्चे की घोषणा करेंगे।वे औरंगाबाद विधानसभा सीट से खुद चुनाव लड़ेंगे और साथ ही नबीनगर, कुटुम्बा, इमामगंज, वजीरगंज और जहानाबाद से अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर चुके हैं।
मगध विकास मोर्चा का घोषणा पत्र और बड़े वादे
रामाधार सिंह का कहना है कि मोर्चे का घोषणापत्र खास तौर पर भाजपा और मौजूदा सरकार की नीतियों के खिलाफ केंद्रित होगा। उन्होंने दो मुख्य मुद्दों को सबसे आगे रखा भूमि सर्वेक्षण तत्काल बंद करने की मांग।भाजपा में आए दलबदलू नेताओं को बाहर करने का संकल्प।इसके अलावा किसानों को हर खेत तक पानी पहुँचाने के वादे भी घोषणापत्र में शामिल होंगे। सिंह ने दावा किया कि अगर उनके उम्मीदवार जीतते हैं तो उत्तर कोयल नहर का पानी गुरुआ-टेकारी तक पहुंचेगा।तिलैया डैम से वजीरगंज तक पानी मिलेगा।सोनदाहा डैम का पानी आमस तक पहुंचेगा।पुनपुन नदी का पानी जहानाबाद तक पहुँचाया जाएगा।
चुनावी फंडिंग और भाजपा पर सीधा हमला
रामाधार सिंह ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा— “भाजपा को बनाने के लिए हमने 30 बीघा जमीन बेची थी, अब इसे बिगाड़ने के लिए 50 बीघा जमीन बेचेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे अपने उम्मीदवारों को खुद फंड करेंगे।साथ ही उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को भ्रष्ट बताते हुए कहा कि वे “जन प्रतिनिधि नहीं, धर प्रतिनिधि” हैं।
लगातार हार और पार्टी में उपेक्षा से उपजी नाराजगी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रामाधार सिंह की यह बगावत लंबे समय से पनप रही थी। पिछले दो विधानसभा चुनावों में वे हार चुके हैं और पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे थे।इस बार भी भाजपा से औरंगाबाद सीट पर टिकट की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन टिकट न मिलने की संभावना को देखते हुए उन्होंने नया मोर्चा बनाने का निर्णय लिया।रामाधार सिंह का मगध प्रमंडल में खासा प्रभाव माना जाता है और वे भाजपा के पुराने संगठनकर्ताओं में गिने जाते हैं। उनके अलग होने से भाजपा और एनडीए के उम्मीदवारों के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं।