Bihar land: बिहार सरकार की भूमि सुधार सर्विस ऑनलाइन! इसके बावजूद लोगों को लगाने पड़ रहे दफ्तर के चक्कर, वजह आई सामने
Bihar land: बिहार सरकार की भूमि सुधार सेवाएं अब पूरी तरह ऑनलाइन हो चुकी हैं, फिर भी जनता को कार्यालयों के चक्कर क्यों लगाने पड़ रहे हैं? जानिए मंत्री संजय सरावगी की समीक्षा बैठक में हुए खुलासे और आगामी सुधारात्मक कदम।

Bihar land: बिहार सरकार के भूमि सुधार और राजस्व विभाग ने अपने सभी प्रमुख कार्यों—जैसे दाखिल-खारिज, जमाबंदी, परिमार्जन—को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया है। आमजन अब Bihar Bhumi Portal के जरिए घर बैठे सेवाएं ले सकते हैं।लेकिन सवाल यह उठता है कि जब सभी प्रक्रियाएं डिजिटल हो चुकी हैं, तो फिर जनता को कार्यालयों के चक्कर क्यों लगाने पड़ रहे हैं? यही सवाल मंत्री संजय सरावगी ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों से पूछा और कड़ी नाराजगी जताई।
समीक्षा बैठक में उजागर हुईं गंभीर अनियमितताएं
हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में यह तथ्य सामने आया कि लगभग 7000 मामलों में दाखिल-खारिज की नोटिस, सुनवाई और निष्पादन एक ही दिन में कर दिए गए। यह प्रक्रिया न केवल असामान्य है, बल्कि सिस्टम की पारदर्शिता और न्यायिक प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करती है। मंत्री सरावगी ने इस पर तत्काल जांच के आदेश देते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि सभी लंबित और 'परिमार्जन प्लस' मामलों की जल्द से जल्द समीक्षा कर कार्रवाई की जाए।
जमाबंदी लॉक और DCLR की जिम्मेदारी
जमाबंदी लॉक के मामलों में यह निर्देश दिया गया है कि यदि ज़मीन सरकारी नहीं है, तो उसे अनलॉक किया जाए। इससे आमजन को ज़मीन से जुड़े विवादों में राहत मिलेगी।DCLR (डिप्टी कलेक्टर भूमि सुधार) और अंचल अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे मामलों की जिम्मेदारी लें और समय पर निष्पादन सुनिश्चित करें।साथ ही, राजस्व न्यायालयों में जब भी किसी केस को रिजेक्ट किया जाए, तो उसका स्पष्ट कारण दर्ज किया जाए, ताकि आवेदक को समझ में आ सके कि उसे अस्वीकार क्यों किया गया।
कॉल सेंटर से जनता की आवाज़ सीधे सरकार तक
जनता की समस्याओं के तत्काल समाधान के लिए 1 जून से एक कॉल सेंटर शुरू किया जा रहा है, जिसमें लोग सीधे अपनी शिकायतें दर्ज कर सकेंगे। यह कदम डिजिटल भू-सेवाओं की उपयोगिता को और सशक्त बनाएगा।मंत्री सरावगी ने कहा कि जब शिकायतें सीधे मंत्री तक ऑनलाइन पहुंच सकती हैं, तो फिर जनता को दफ्तरों के चक्कर लगाना पूरी तरह अस्वीकार्य है।यह कदम बिहार को ई-गवर्नेंस मॉडल स्टेट बनाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।