Bihar News: जेल से कैदियों को निकालेगी नीतीश सरकार ! जुर्माना भी भरेगी, गाइडलाइन जारी, DM-SP को सख्त निर्देश
Bihar News: बिहार सरकार अब कैदियों को जेल से ना सिर्फ बाहर निकालेगी बल्कि उनके जुर्माना की राशि भी भरेगी। इसको लेकर सीएम नीतीश ने गाइडलाइन जारी कर दिया है। साथ ही डीएम एसपी को सख्त आदेश भी दिया गया है।

Bihar News: नीतीश सरकार ने राज्य की जेलों में बंद ऐसे गरीब कैदियों की मदद के लिए अहम कदम उठाया है जो आर्थिक तंगी की वजह से जुर्माना या जमानत राशि अदा नहीं कर पा रहे हैं। सरकार अब ऐसे कैदियों की रिहाई के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा नई गाइडलाइन लागू की गई है। जिसे लेकर गृह विभाग ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को निर्देश जारी किए हैं।
नई गाइडलाइन जारी
गाइडलाइन के अनुसार, अगर किसी विचाराधीन कैदी को न्यायालय से जमानत मिलने के सात दिनों के भीतर रिहा नहीं किया जाता है तो जेल प्रशासन इस संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) के सचिव को सूचित करेगा। इसके बाद सचिव यह जांच करेंगे कि संबंधित कैदी को वित्तीय सहायता की आवश्यकता है या नहीं। इस प्रक्रिया में प्रोबेशन अधिकारी, समाजसेवी या सिविल सोसाइटी के सदस्यों की मदद ली जा सकेगी। जांच प्रक्रिया को 10 दिनों में पूरा करना होगा।
कैदियों के जुर्माने की राशि देगी सरकार
प्राधिकार के सचिव दो से तीन सप्ताह के भीतर ऐसे मामलों को जिला स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति के समक्ष रखेंगे। समिति विचाराधीन कैदियों के मामले में अधिकतम 40,000 रुपये तक और दोषी करार दिए गए कैदियों के लिए अधिकतम 25,000 रुपये तक की राशि स्वीकृत कर सकती है। यदि किसी कैदी की जमानत या जुर्माने की राशि इससे अधिक है तो मामला राज्यस्तरीय निगरानी समिति को भेजा जाएगा। हालांकि यह योजना भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, एनडीपीएस एक्ट और असामाजिक गतिविधियों में संलिप्त कैदियों पर लागू नहीं होगी।
पांच सदस्यीय टीम की गठन
इस योजना की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर एक पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। जिसकी अध्यक्षता गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव करेंगे। समिति में विधि विभाग के सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, जेल महानिरीक्षक और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सदस्य बनाया गया है। वहीं, जिला स्तर पर भी एक पांच सदस्यीय अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया है। जिसमें डीएम, एसपी, DLSA सचिव, जेल अधीक्षक/उपाधीक्षक और जिला न्यायाधीश द्वारा नामित एक न्यायिक अधिकारी शामिल होंगे। ये समिति प्रत्येक मामले की समीक्षा कर आर्थिक सहायता का निर्णय लेगी।