Mid-Day Meal: मिड डे मील योजना को लेकर डॉ. एस. सिद्धार्थ का बड़ा ऐलान! नए नियम से अधिकारियों की बढ़ेगी मुश्किल, लापरवाही पाए जाने पर होगी कार्रवाई
Mid-Day Meal: बिहार के 71,567 प्रारंभिक विद्यालयों में मिड डे मील की निगरानी अब रोजाना पोर्टल पर रिपोर्ट के माध्यम से होगी. अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने अधिकारियों पर जवाबदेही तय करते हुए सख्त निर्देश दिए हैं.

Mid-Day Meal: बिहार राज्य के 71,567 प्रारंभिक विद्यालयों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal) को अब प्रौद्योगिकी की मदद से पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। अब प्रत्येक विद्यालय में हर दिन यह रिपोर्ट दर्ज की जाएगी कि कितने बच्चों ने भोजन किया,कितने अनुपस्थित रहे,और क्या भोजन निर्धारित मेन्यू के अनुसार दिया गया.यह सारी जानकारी एक केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड होगी, जिसे विभागीय अधिकारी प्रतिदिन मॉनिटर करेंगे।
जिम्मेदार अधिकारी अब बच नहीं सकेंगे
पहली बार डीपीओ, प्रबंधक और साधनसेवी पर सीधी कार्रवाई की जाएगी। अब तक की व्यवस्था में जब भी मिड डे मील में गड़बड़ी की शिकायत मिलती थी, अधिकतर कार्रवाई स्कूल स्तर के प्रधानाध्यापक पर ही सीमित रहती थी. लेकिन अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने इस रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है।डॉ. एस. सिद्धार्थ के अनुसार अनियमितता की ज़िम्मेदारी अकेले प्रधान शिक्षक की नहीं हो सकती. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक और प्रखंड व जिला साधनसेवी भी समान रूप से जवाबदेह हैं।
कौन होंगे जिम्मेदार?
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) – मध्याह्न भोजन योजना,जिला कार्यक्रम प्रबंधक.जिला एवं प्रखंड स्तर के साधनसेवी। अब इन सभी पर सीधी कार्रवाई की जाएगी यदि शिकायत की पुष्टि होती है।
मेन्यू के उल्लंघन और अनुपस्थिति की फर्जी रिपोर्टिंग पर शिकंजा
अपर मुख्य सचिव के अनुसार, विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि छात्रों को निर्धारित मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जाता।कागज़ों पर उपस्थिति बढ़ा-चढ़ाकर दर्ज की जाती है। कई केंद्रीयकृत रसोईघरों से घटिया क्वालिटी का भोजन भेजा जाता है।छात्रों की संख्या के हिसाब से कम मात्रा में भोजन आपूर्ति की जाती है। यह सब दर्शाता है कि योजना का क्रियान्वयन कई स्थानों पर आदर्श से दूर है।
रिपोर्टिंग सिस्टम से होगा डेटा पारदर्शी
अब सभी विद्यालयों को निर्देशित किया गया है कि वे हर दिन अपने विद्यालय से ऑनलाइन रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड करेंगे। इससे फर्जी उपस्थिति की संभावना घटेगी.भोजन की गुणवत्ता की नियमित समीक्षा संभव होगी.तुरंत कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। इस प्रकार, यह एक "रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम" की दिशा में कदम है, जो भारत के सार्वजनिक वितरण कार्यक्रमों के लिए एक मॉडल बन सकता है।