Bihar NDA seat sharing: एनडीए में कौन पाएगा कितनी सीट ? मोदी के हनुमान, मांझी और कुशवाहा सभी होंगे संतुष्ट?, सीट बंटवारे का फ़ॉर्मूला तय , अमित शाह इस दिन करेंगे घोषणा
एनडीए में धीरे-धीरे सहमति का रास्ता साफ़ होता नज़र आ रहा है। इस पूरे समीकरण की कुंजी मानी जा रही है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बिहार दौरा, जहां सीट बंटवारे का बड़ा ऐलान संभव बताया जा रहा है।...

Bihar NDA seat sharing: बिहार की सियासत इन दिनों चुनावी तपिश से सुलग रही है। विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू होने में अब बस कुछ ही दिन शेष हैं, लेकिन उससे पहले ही सीट बंटवारे के समीकरण ने राजनीतिक हलचल और तेज़ कर दी है। महागठबंधन जहां अभी भी आपसी खींचतान में उलझा हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं एनडीए में धीरे-धीरे सहमति का रास्ता साफ़ होता नज़र आ रहा है। इस पूरे समीकरण की कुंजी मानी जा रही है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बिहार दौरा, जहां सीट बंटवारे का बड़ा ऐलान संभव बताया जा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा और जेडीयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर सहमति बन रही है। दोनों दलों को लगभग 102-103 सीटें मिलने की संभावना है। यह फ़ॉर्मूला न केवल गठबंधन की एकता को मजबूत करेगा, बल्कि विपक्ष को भी यह संदेश देगा कि एनडीए एकजुट है और पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरेगा।
छोटे घटक दलों को भी इस बार उचित हिस्सेदारी देने की कवायद चल रही है। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 20-22 सीटें मिल सकती हैं, जिससे वह एनडीए का तीसरा सबसे बड़ा घटक बनकर उभरेगी। वहीं, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 7-9 सीटें मिलने की संभावना है। यह साफ़ संकेत है कि भाजपा-जेडीयू का गठबंधन छोटे सहयोगियों को साधने में कोई चूक नहीं करना चाहता।
एनडीए के प्रवक्ता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि बिहार सरकार के हालिया फैसलों को लेकर घटक दलों में सहयोग और सामंजस्य बढ़ा है। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि “सरकार के निर्णयों को सभी सहयोगियों ने समर्थन दिया है, जिससे गठबंधन और भी मजबूत हुआ है। यही वजह है कि सीट बंटवारे की प्रक्रिया बिना किसी बड़े विवाद के आगे बढ़ रही है।”
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह सीट बंटवारे का फ़ॉर्मूला महज औपचारिकता नहीं बल्कि बिहार की राजनीति में नए समीकरणों का संकेत है। कांग्रेस और राजद के बीच तालमेल टूटने के बाद विपक्ष कमजोर दिख रहा है। ऐसे में भाजपा और जेडीयू के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि वे अपने गठबंधन को ज़मीन पर और अधिक मज़बूत करें। सीटों का सही वितरण इस मक़सद को पूरा करने का सबसे अहम साधन बन सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अमित शाह का बिहार दौरा सिर्फ़ एक औपचारिक यात्रा नहीं बल्कि चुनावी रणनीति का निर्णायक पड़ाव है। शाह की मौजूदगी में सीट बंटवारे का ऐलान होगा तो कार्यकर्ताओं में ऊर्जा आएगी और विपक्ष पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनेगा। इससे एनडीए का चुनावी अभियान ज़ोर पकड़ लेगा।
एनडीए के भीतर बन रही यह सहमति इस बार यह भी दर्शाती है कि भाजपा और जेडीयू बराबरी का रिश्ता बनाए रखना चाहते हैं। चिराग पासवान जैसे सहयोगियों को बड़ा हिस्सा देकर संदेश दिया जा रहा है कि गठबंधन केवल दो दलों का खेल नहीं बल्कि सभी घटकों का साझा मंच है।
बहरहाल बिहार में जब आचार संहिता लागू होगी, उससे पहले ही एनडीए अपने सीट बंटवारे और चुनावी रणनीति को जनता के सामने रख देगा। अमित शाह की मुहर लगते ही यह गठबंधन न केवल पन्नों पर बल्कि ज़मीन पर भी मजबूती से उतरने को तैयार होगा।