Patna Metro: पटना मेट्रो में सिविक सेंस की कमी! नए नवेले स्टेशन को थूक कर लोगों ने किया लाल, देखें कैसे हो गया कुछ दिनों में बुरा हाल
Patna Metro: पटना मेट्रो शुरू होते ही गुटखे के दाग और सिविक सेंस की कमी चर्चा का विषय बन गए हैं। जानिए कैसे एक छोटे से वीडियो ने बिहार में नागरिक जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।

Patna Metro: पटना के अनिसाबाद जैसे व्यस्त चौराहों पर सड़कों पर थूकना, कचरा फेंकना या ट्रैफिक नियम तोड़ना अब आम बात लगने लगी है।हाल ही की एक घटना में, एक ऑटो सवार ने चलती गाड़ी से बिना सोचे थूक दिया। न उसे इस बात की परवाह थी कि थूक किसी राहगीर या साइकिल सवार पर पड़ सकता है न यह चिंता कि यह व्यवहार शहर की छवि पर क्या असर डालता है।
ऐसे ही अनगिनत उदाहरण बताते हैं कि सिविक सेंस यानी नागरिक जिम्मेदारी का भाव धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।जहां एक ओर बिहार राजनीति, शिक्षा और बुद्धिजीविता के लिए प्रसिद्ध है, वहीं दूसरी ओर बुनियादी सामाजिक व्यवहार में गिरावट एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।
पटना मेट्रो का हाल तीन दिन में गुटखे से रंगे प्लेटफॉर्म
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उद्घाटन के कुछ ही दिनों बाद पटना मेट्रो स्टेशन की दीवारों पर गुटखे के दाग नज़र आने लगे।व्लॉगर रौनक अग्रवाल द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो ने इस लापरवाही को उजागर किया। वीडियो में प्लेटफॉर्म की दीवारें लाल दागों से सजी थीं और व्लॉगर ने कहा कि पटना मेट्रो को शुरू हुए दो दिन भी नहीं हुए हैं और गुटखा गैंग आ गया है। इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी। लोगों ने सवाल उठाया कि जब एक राज्य करोड़ों रुपये खर्च करके आधुनिक सुविधा लाता है, तो जनता उसकी रक्षा करने के बजाय उसे नुकसान क्यों पहुंचाती है?
जनता की प्रतिक्रिया गुटखा गैंग को सबक सिखाइए
सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं एक यूज़र ने लिखा कि थूकने और गुटखा चबाने पर 300 रुपये का जुर्माना लगाइए और इसे वसूलिए। दूसरे ने कहा कि कैमरों से थूकने वालों की पहचान कर उनसे सफाई करवाइए। तीसरे ने सुझाव दिया कि मेट्रो में गुटखा पर प्रतिबंध लगाया जाए, जबकि चौथे ने कहा कि जिन यात्रियों के पास गुटखा पाया जाए, उन्हें यात्रा से वंचित कर देना चाहिए।
मेट्रो सेवा और जनता का उत्साह
पटना मेट्रो के पहले चरण में पाटलिपुत्र बस टर्मिनल से भूतनाथ स्टेशन तक की सेवा शुरू की गई है। पहले दिन लगभग 5,000 यात्रियों ने यात्रा की और मेट्रो ने 80,000 रुपये का राजस्व अर्जित किया।लोग परिवारों और बच्चों के साथ नई ट्रेन की सवारी करने पहुंचे। स्टेशन पर भीड़, सेल्फी और उत्साह का माहौल था। पर यह उत्साह तभी सार्थक होगा, जब यात्री स्वच्छता और मर्यादा का पालन करेंगे क्योंकि यह सिर्फ सरकार की परियोजना नहीं, बल्कि जनता की पहचान है।
सिविक सेंस आधुनिकता की आत्मा
सिविक सेंस का मतलब केवल सड़क साफ रखना नहीं, बल्कि यह समझना है कि सार्वजनिक स्थान सबका है। इसमें शामिल है सार्वजनिक जगहों पर थूकने से बचना,कचरा उचित स्थान पर डालना,नियमों का पालन करना,दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना। जापान जैसे देशों में लोग अपनी जिम्मेदारी से सफाई करते हैं। वहीं भारत जैसे देश में, जहां अब भी कई शहरों में स्वच्छ भारत”जैसे अभियान चलाने पड़ते हैं।