Bihar News - केके पाठक के वो तीन कार्य, जिसने नीतीश कुमार को पहुंचाया बड़ा फायदा, तीसरे के बारे में जानते भी नहीं होंगे
Bihar News - 35 साल तक बिहार की सेवा करने के बाद केके पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। इस दौरान उन्होंने तीन बड़े कार्य किए, जो कि नीतीश सरकार की सबसे बड़ी उबलब्धि मानी जाती है।

Patna - बिहार के सरकारी कर्मचारियों में केके पाठक का खौफ हमेशा के लिए खत्म हो गया है। आज सामान्य प्रशासन विभाग ने उनके केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए विरमित कर दिया। अब वह केंद्र में मंत्रिमंडल सचिवालय में अपर सचिव की जिम्मेदारी संभालेंगे। वहीं बिहार में केके पाठक ने कई प्रमुख कार्य किए।
35 साल तक की बिहार की सेवा
1990 बैच के आईएएस अधिकारी रहे केके पाठक ने 35 साल तक बिहार की सेवा की। इस दौरान उन्होंने बिहार में लालू यादव के शासन से लेकर नीतीश कुमार के कार्यकाल को नजदीक से देखा। वहीं बिहार को लेकर उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। जिसका प्रभाव दूरगामी रहा और इसकी जमकर तारीफ भी हुई।
शराबबंदी कानून
बिहार में 2016 में नीतीश कुमार सरकार शराबबंदी कानून लेकर आए। इस दौरान केके पाठक को मद्य निषेध का प्रमुख बनाया गया। उन्होंने शराबबंदी को लेकर सख्त कानून बनाया। जिसके बाद शराबबंदी कानून सीएम नीतीश कुमार की सबसे बड़ी उपलब्धि बन गया।
शिक्षा विभाग की बदली छवि
2023 में केके पाठक को बिहार शिक्षा विभाग की एसीएस की जिम्मेदारी सौंपी गई। नीतीश कुमार ने उन्हें इस भरोसे के साथ विभाग की जिम्मेदारी सौंपी थी कि वह यहां भ्रष्टाचार को खत्म करें। केके पाठक ने इसे बखूबी अंजाम दिया। उन्होंने न सिर्फ विभाग में सुधार किया। बल्कि गांव-गांव तक सरकारी स्कूलों की छवि को सुधारने का काम किया। जो शिक्षक स्कूल नहीं आते थे, वह समय स्कूल पहुंचने लगे। केके पाठक के कार्यकाल में ही बिहार में पहली बार लाखों शिक्षकों की नियुक्ति की गई। यहां तक कि स्कूल कॉलेज की बेहतरी के लिए उन्होंने राज्यपाल से भी पंगा लेने में परहेज नहीं किया। सरकार के विधायकों तक को भी नाराज कर दिया। लेकिन अपने फैसले को लेकर कभी पीछे नहीं हुए।
बेतिया राज की 15 हजार एकड़ जमीन दिलाने में बड़ी भूमिका
पिछले साल राज्य सरकार ने कानून बनाकर वारिस के अभाव में बेकार पड़ी बेतिया राज की 15 हजार एकड़ जमीन को अपने अधीन कर लिया। इस कानून को बनाने में केके पाठक की अहम भूमिका थी। केके पाठक राजस्व पर्षद के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने बेतिया राज की जमीन को लेकर जानकारी इकट्ठी की और बताया कि कैसे उनकी जमीन पर अवैध कब्जा किया गया है। जिसके बाद राज्य सरकार ने उस जमीन को सरंक्षित करने के लिए कानून बना दिया।