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Bihar Police Recruitment: सिपाही भर्ती में सेटिंग का खेल! 10-15 लाख में बिक रही थी नौकरियां?

बिहार पुलिस भर्ती में 240 अभ्यर्थी नकल करते पकड़े गए। बायोमेट्रिक जांच में खुलासा हुआ कि लाखों रुपए में नौकरी बेची जा रही थी। भागलपुर के 90 समेत कई जिलों के अभ्यर्थी शामिल थे।

Bihar Police Recruitment

बिहार पुलिस सिपाही भर्ती में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। 240 अभ्यर्थियों ने नकल कर परीक्षा पास करने की कोशिश की, लेकिन पटना हाई स्कूल में आयोजित शारीरिक दक्षता परीक्षा के दौरान उनका फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। इस फर्जीवाड़े में शामिल सभी अभ्यर्थियों के खिलाफ गर्दनीबाग थाने में मामला दर्ज किया गया है। इनके खिलाफ बीएनएस और बिहार परीक्षा अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।


बायोमेट्रिक जांच में फर्जीवाड़ा उजागर!

सिपाही भर्ती की शारीरिक जांच के दौरान अभ्यर्थियों के फोटो और फिंगरप्रिंट का मिलान किया गया, जिसमें पाया गया कि कई अभ्यर्थियों ने दो अलग-अलग नामों से आवेदन किया था और अलग-अलग दिन परीक्षा में शामिल हुए थे। बायोमेट्रिक जांच में जब उनके फिंगरप्रिंट और फोटो का मिलान नहीं हुआ, तो इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। इसके बाद इन सभी को तत्काल संदिग्ध माना गया और इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई।


10-15 लाख में बेची जा रही थी नौकरी!

इस फर्जीवाड़े से यह साफ हो गया है कि परीक्षा माफियाओं ने लाखों रुपये लेकर अभ्यर्थियों से फर्जीवाड़ा करवाया था। सूत्रों के अनुसार सिपाही भर्ती परीक्षा पास कराने का ठेका 10 से 15 लाख रुपये में दिया जा रहा था। इसमें स्कॉलर (असली अभ्यर्थी की जगह परीक्षा में बैठने वाला व्यक्ति) को 2 लाख रुपये तक दिए जाते थे। यह खेल लंबे समय से चल रहा था, लेकिन इस बार प्रशासन की सख्ती के कारण अनियमितता पकड़ी गई।


भागलपुर से सबसे ज्यादा अभ्यर्थी फंसे

गर्दनीबाग थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार भागलपुर से सबसे ज्यादा 90 अभ्यर्थियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनके अलावा मुंगेर (46), गया (11), लखीसराय (9), बेगूसराय, मधुबनी, जमुई, सीवान, रोहतास, नालंदा और वैशाली के अभ्यर्थी भी इस अनियमितता में संलिप्त पाए गए हैं। पुलिस इस मामले में यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस अनियमितता के पीछे कौन से माफिया और गिरोह सक्रिय हैं।


बिहार पुलिस भर्ती में सामने आया यह फर्जीवाड़ा सरकारी नौकरियों में हो रही धांधली की एक और कड़ी है। हर साल ऐसे कई मामले सामने आते हैं जहां अभ्यर्थी सेटिंग के जरिए सरकारी नौकरी पाने की कोशिश करते हैं। हालांकि इस बार प्रशासन की सख्ती और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की वजह से बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। अब देखना यह है कि इन दोषियों के खिलाफ कितनी सख्त कार्रवाई होती है और परीक्षा माफिया की जड़ें कितनी गहरी हैं।

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