Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव होने में अभी समय है लेकिन इसके पहले ही राज्य की सियासत में शराब ने एंट्री ले ली है। प्रदेश में अब शराब को लेकर सियासत तेज है। कई नेताओं का दावा है कि सरकार बनते ही वो शराबबंदी कानून को हटा देंगे। जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर का कहना है कि अगर उनकी सराकर बनती है तो वो 1 घंटे के अंदर शराबबंदी कानून को हटा देंगे। वहीं बीते दिन तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि जब उनकी सरकार बनेगी तो पासी समाज की आजीविका के लिए प्राकृतिक पेय पदार्थ “ताड़ी” बेचने पर पाबंदी को बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम-𝟐𝟎𝟏𝟔 से बाहर कर देंगे। तेजस्वी ने साफ किया कि वो शराब के नशे से या शराब बंदी से कोई समझौता नहीं करेंगे लेकिन ताड़ी को लेकर जो पाबंदी है नो उसे हटा देंगे। वहीं कांग्रेस विधायक तेजस्वी यादव से दो कदम आगे निकल गई है। विधायक ने ऐलान कर दिया है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो ठेकों पर पहले की तरह शराब बिकेंगी। कांग्रेस विधायक का यह बयान सियासी भूचाल ला सकता है।
तेजस्वी से आगे निकलीं कांग्रेस विधायक
दरअसल, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 2025 में महागठबंधन की सरकार बनने पर ताड़ी को शराबबंदी कानून से बाहर करने की घोषणा कर नई बहस छेड़ दी है। लेकिन इससे भी आगे बढ़ते हुए कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने कहा कि अगर महागठबंधन सत्ता में आया तो राज्य में फिर से शराब की बिक्री शुरू कराई जाएगी और शराबबंदी कानून को खत्म कर दिया जाएगा। तेजस्वी यादव के बयान के तुरंत बाद कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने शराबबंदी कानून को पूरी तरह खत्म करने की बात कहकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल हो चुकी है और इससे राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
नीतीश सरकार पर निशाना
उन्होंने कहा, "अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो बिहार में शराबबंदी कानून को खत्म कर दिया जाएगा। जिस तरह पहले ठेके पर शराब बिकती थी, उसी पैटर्न पर फिर से बिक्री शुरू होगी।" प्रतिमा दास ने बिहार में शराबबंदी लागू करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले नीतीश कुमार की सरकार ने पंचायत स्तर तक शराब की दुकानें खुलवाईं और फिर अचानक कानून बनाकर प्रतिबंध लगा दिया। उन्होंने कहा, "अगर शराब की बिक्री करनी थी, तो इसे नियंत्रित तरीके से किया जाना चाहिए था, न कि माफिया तंत्र के हाथों सौंप दिया जाता।" उन्होंने आगे कहा कि शराबबंदी के बावजूद बिहार में अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है और नकली शराब से कई लोगों की जान भी जा चुकी है।
महागठबंधन में शराबबंदी पर मतभेद?
प्रतिमा दास के इस बयान से महागठबंधन के भीतर भी अलग-अलग सुर नजर आ रहे हैं। तेजस्वी यादव जहां केवल ताड़ी को शराबबंदी कानून से बाहर करने की बात कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस विधायक पूरी शराबबंदी खत्म करने की वकालत कर रही हैं। दूसरी ओर राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और हम पार्टी के अध्यक्ष जीतनराम मांझी पहले भी शराबबंदी कानून को खत्म करने की मांग कर चुके हैं। प्रशांत किशोर का कहना है कि शराबबंदी लागू करने से नकली शराब का कारोबार बढ़ा है और इससे कई लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी कई बार शराबबंदी के खिलाफ बयान दे चुके हैं। उनका मानना है कि इस कानून से गरीबों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई है, जबकि अमीर चोरी-छिपे शराब खरीद रहे हैं।
BJP का पलटवार, JDU का रुख स्पष्ट नहीं
इस पूरे विवाद पर भाजपा ने महागठबंधन पर हमला बोलते हुए कहा कि यह वोट बैंक की राजनीति है। वहीं, जेडीयू ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। बिहार में शराबबंदी को लेकर अब सियासत तेज हो गई है। महागठबंधन के भीतर ही अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं। आने वाले चुनाव में यह मुद्दा कितना अहम होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।