Bihar Top MLA: बिहार के दिग्गज विधायकों का राजनीतिक रिकॉर्ड! हरिनारायण सिंह बना रहे इतिहास, नालंदा फिर बना केंद्र

Bihar Top MLA: बिहार राजनीति में दिग्गज विधायकों का दबदबा कायम है। हरिनारायण सिंह ने रिकॉर्ड 10वीं बार जीत दर्ज की, जबकि कई नेताओं ने सात, आठ और नौ बार जीतकर लंबी विधायी पारी बनाई है।

Bihar Top MLA
दिग्गज विधायकों का दबदबा - फोटो : social media

Bihar Top MLA: बिहार की राजनीति हमेशा से अपने बड़े नेताओं और उनकी मजबूत पकड़ के लिए मशहूर रही है। पुराने दिनों में कोई नेता जितना जमीन से जुड़ा होता था, जितने संघर्षों से होकर आया होता था, उसका कद उतना ही बड़ा माना जाता था। लेकिन समय के साथ राजनीति की प्रकृति बदल गई है। आज चुनाव केवल लोकप्रियता या छवि पर नहीं तय होते, बल्कि गठबंधन, जातीय समीकरण, वोट ट्रांसफर और संगठन की ताकत ज्यादा अहम हो गई है।

यही वजह है कि कई जगह व्यक्तिगत पहचान पीछे रह गई, और चुनावी जीत रणनीति की देन बनती चली गई। इसके बावजूद जो नेता वर्षों तक अपनी सीट बचाए हुए हैं, वे आज भी जनता के लिए भरोसे और निरंतरता का प्रतीक बने हुए हैं। नालंदा जिला इसकी खास मिसाल है, जहाँ मतदाता अपने पसंदीदा नेताओं को लगातार मौका देते आए हैं।

हरिनारायण सिंह की दसवीं ऐतिहासिक जीत

नालंदा जिले की राजनीति इस बार एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी। हरिनारायण सिंह ने दसवीं बार विधानसभा की जीत हासिल कर बिहार की विधायी राजनीति में नया रिकॉर्ड बना दिया। वे राज्य के पहले ऐसे नेता हैं जिन्हें दस बार जनता ने चुनकर भेजा है। यह उपलब्धि केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि जनता के भरोसे और क्षेत्र में उनकी लगातार सक्रियता का परिणाम है।

हरनौत से उनकी लगातार चौथी जीत भी बेहद खास है। यह वही सीट है जहाँ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी विधायी यात्रा की शुरुआत की थी। नीतीश कुमार ने यहाँ 1985 में पहली बार जीत हासिल की थी और 1995 में दोबारा विजयी रहे थे। यही कारण है कि हरनौत को बिहार राजनीति की यादगार सीट माना जाता है। हरिनारायण सिंह की सिद्धांतवादी छवि, Booth-level जुड़ाव और विकास के मुद्दों पर लगातार काम ने उन्हें इलाके का सबसे भरोसेमंद नाम बना दिया है।

बिहार के अन्य दिग्गज विधायक

2025 के चुनाव नतीजे बताते हैं कि बिहार में कई नेता आज भी अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। गठबंधन बदलते रहते हैं, राजनीतिक हवा ऊपर-नीचे होती रहती है, लेकिन जनता का भरोसा इन अनुभवी चेहरों पर टिका रहता है।

प्रेम कुमार (गया शहरी)

लगातार नौ बार की जीत उन्हें बिहार में एक अलग पहचान देती है। सरल व्यक्तित्व और लगातार संपर्क में रहने की आदत से वे आज भी शहर के सबसे प्रभावी नेता हैं।

बिजेंद्र यादव (सुपौल)

इस बार की जीत ने उन्हें 9 बार विधायक बनने वाले नेताओं की श्रेणी में शामिल कर दिया। कोसी क्षेत्र में उनकी भूमिका हमेशा मजबूत रही है।

श्रवण कुमार (नालंदा)

आठ बार की जीत के साथ वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में गिने जाते हैं। संगठन पर पकड़ और प्रशासनिक अनुभव उनकी पहचान है।

नरेंद्र नारायण यादव (आलमनगर, मधेपुरा)

लगातार जीत का सिलसिला उन्हें क्षेत्र का स्थायी लोकप्रिय नेता बनाता है।

राघवेंद्र प्रताप सिंह (बड़हरा, भोजपुर)

उनकी आठवीं जीत दर्शाती है कि भोजपुर की राजनीति में उनका प्रभाव कितने गहरे तक है।

गया में राजनीतिक परिवारों का अनोखा रिकॉर्ड 

गया जिले की राजनीति की खास बात यह है कि यहां परिवारिक नेतृत्व की परंपरा गहरी है।जीतन राम मांझी ने इमामगंज से 8 बार जीतकर अपनी पकड़ स्थापित की। सांसद बनने के बाद उनकी बहू दीपा कुमारी ने सीट संभाली और लगातार दो बार जीत दर्ज कर इस राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया।इसके उलट बेलागंज में सुरेंद्र यादव ने आठ बार जीतकर नेतृत्व स्थापित किया, लेकिन उनके पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह दो चुनावों में यह विरासत आगे नहीं बढ़ा पाए। यह उदाहरण दिखाता है कि राजनीतिक आधार हमेशा हस्तांतरित नहीं होता, उसे खुद बनाना पड़ता है।

सातवीं बार जीतने वाले अनुभवी नेता 

सातवीं बार जीतने वाले नेताओं ने भी यह साबित किया कि उनके क्षेत्रों में उनकी पकड़ अब भी मजबूत है।

विजय कुमार चौधरी (सरायरंजन)

उनकी जनस्वीकार्यता कभी कम नहीं हुई। समस्तीपुर में उनकी आवाज़ अब भी सबसे प्रभावशाली मानी जाती है।

श्याम रजक (फुलवारी, पटना)

उनकी वैचारिक स्पष्टता और संगठनात्मक कौशल उन्हें राजनीति में अलग पहचान देता है।

रामानंद यादव (फतुहा)

सातवीं जीत RJD के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है, विशेषकर तब जब कई दिग्गज नेताओं को मुश्किलें झेलनी पड़ीं।

रामनारायण मंडल (बांका)

बांका में उनकी पकड़ वर्षों से कायम है और उनका राजनीतिक सफर आज भी उतनी ही मजबूती से चल रहा है।