Bihar Voter List: 3 लाख वोटर बढ़े, क्यों बढ़े? ,बिहार में उठे सवालों पर चुनाव आयोग की सफ़ाई, विपक्ष के आरोपों को करारा जवाब

Bihar Voter List: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अचानक तीन लाख मतदाताओं की बढ़ोतरी को लेकर उठी सियासी गर्मी के बीच आखिरकार चुनाव आयोग (ईसी) ने बुधवार को अपना आधिकारिक बयान जारी कर दिया।

Bihar Voter List: 3 लाख वोटर बढ़े, क्यों बढ़े? ,बिहार में उठ
3 लाख वोटर बढ़े, क्यों बढ़े? - फोटो : social Media

Bihar Voter List: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अचानक तीन लाख मतदाताओं की बढ़ोतरी को लेकर उठी सियासी गर्मी के बीच आखिरकार चुनाव आयोग (ईसी) ने बुधवार को अपना आधिकारिक बयान जारी कर दिया। विपक्ष की ओर से बड़े पैमाने पर “वोट चोरी” और “मतदाता सूची में हेरफेर” के आरोपों के बाद यह स्पष्टीकरण बेहद अहम माना जा रहा है।

चुनाव आयोग ने साफ़ किया कि 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद, चुनाव की तारीखों की औपचारिक घोषणा होते ही बड़ी संख्या में नए पात्र नागरिकों ने अपने नाम जुड़वाने के लिए आवेदन दिया। नियमों के अनुसार, नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख से 10 दिन पहले तक कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची में नाम जोड़ने का अधिकार रखता है।

ईसी ने बताया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद 30 सितंबर को जारी सूची में कुल 7.42 करोड़ मतदाता दर्ज थे। लेकिन 1 अक्टूबर से नियम अनुसार मिले आवेदनों की जांच–पड़ताल के बाद सभी पात्र मतदाताओं के नाम शामिल कर दिए गए। इसी प्रक्रिया के कारण मतदाताओं की संख्या में लगभग 3 लाख की वृद्धि हुई। आयोग ने कहा कि मतदान के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में इसी संशोधित आंकड़े का ज़िक्र किया गया है।

यह सफ़ाई ऐसे वक्त में आई है जब कांग्रेस और राजद लगातार आरोप लगा रहे थे कि एनडीए की भारी जीत के पीछे “वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और बड़े पैमाने पर वोट चोरी” की साज़िश थी। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर जमकर बवाल मचा हुआ था।

हालिया चुनाव में एनडीए ने ज़बरदस्त प्रदर्शन करते हुए 243 सदस्यीय विधानसभा में 202 सीटें हासिल कीं। वहीं राजद–कांग्रेस महागठबंधन महज़ 35 सीटों पर सिमट गया। खासकर राजद के लिए यह हार बेहद कड़वी रही। 2020 में जहां उसके पास 75 सीटें थीं, इस बार वह घटकर सिर्फ 25 सीटों पर आ गई—यानी पूरे 50 सीटों का नुकसान और तीसरे स्थान पर फिसलने की नौबत।

राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि आयोग के इस विस्तृत स्पष्टीकरण के बावजूद सियासी बहस थमने वाली नहीं है। विपक्ष अभी भी पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है, जबकि एनडीए इसे जनता के स्पष्ट जनादेश की मुहर बता रहा है।