Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : जदयू का 'बड़ा भाई' का रुतबा खत्म, बिहार की राजनीति में भाजपा बनी NDA की अगुवाई शक्ति, सीट बंटवारा में नीतीश को झटका

Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : सीट शेयरिंग के बाद जदयू के बड़े भाई का रुतबा अब खत्म हो गया है. वहीँ एनडीए में बीजेपी अगुवाई शक्ति बनकर उभरी है......पढ़िए आगे

Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : जदयू का 'बड़ा भाई' का रुतबा
जदयू का रुतबा खत्म - फोटो : SOCIAL MEDIA

PATNA : बिहार की राजनीति में पिछले दो दशकों में कई उठापटक देखने को मिले हैं, लेकिन 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले एनडीए (NDA) में सीटों के बंटवारे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू (JDU) अब पहले जैसी निर्णायक स्थिति में नहीं हैं। भाजपा (BJP), जो कभी जदयू की छोटी सहयोगी मानी जाती थी, अब गठबंधन में नेतृत्वकारी भूमिका में आ गई है।

2005: नीतीश का उदय और जदयू का वर्चस्व

2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू-भाजपा गठबंधन ने बिहार में लालू यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी सरकार को सत्ता से बाहर किया। उस समय जदयू को 138 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था, वहीं भाजपा को 102 सीटें दी गई थीं। यह समीकरण नीतीश कुमार के ‘सुशासन बाबू’ की छवि और उनके नेतृत्व के प्रति भाजपा के विश्वास को दर्शाता था।

2010: सहयोग में मजबूती लेकिन भाजपा अभी भी छोटा भाई

2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 141 और भाजपा ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा। नीतीश कुमार की छवि और विकास के एजेंडे पर एनडीए को भारी बहुमत मिला। जदयू की भूमिका गठबंधन में ‘बड़े भाई’ के रूप में बनी रही, और भाजपा को नीतीश की लोकप्रियता से लाभ मिला।

2015: अलगाव और फिर से गठबंधन

2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद जदयू ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था। 2015 में नीतीश ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर भाजपा को हराया। लेकिन यह गठबंधन ज्यादा समय नहीं चला और 2017 में नीतीश दोबारा एनडीए में लौट आए।

2020: भाजपा का उभार, जदयू की गिरावट

2020 के चुनाव में सीट बंटवारे का समीकरण बदल चुका था। भाजपा को 110 और जदयू को 122 सीटें मिली थीं, लेकिन चुनाव नतीजों ने एक अलग तस्वीर पेश की। भाजपा को 74 सीटें मिलीं जबकि जदयू 43 पर सिमट गई। पहली बार विधानसभा में भाजपा की संख्या जदयू से अधिक थी, बावजूद इसके नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया। यह समझौता नीतीश की घटती पकड़ और भाजपा की रणनीतिक मजबूती को दर्शाता था।

2025: जदयू का 'बड़ा भाई' का रुतबा खत्म

2025 के लिए एनडीए में सीटों का जो बंटवारा सामने आया है, वह ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक है। भाजपा और जदयू दोनों को बराबर-बराबर 101 सीटें दी गई हैं, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29, रालोसपा (अब RLM) को 6 और हम (HAM) को 6 सीटें दी गई हैं।  इस बराबरी के बंटवारे ने नीतीश कुमार के घटते कद को और स्पष्ट कर दिया है। कभी बिहार में ‘प्रधान मंत्री फेस’ माने जाने वाले नीतीश अब भाजपा की शर्तों पर गठबंधन में शामिल हैं। भाजपा, जो अब राज्य में भी एक स्वतंत्र और सशक्त शक्ति बन चुकी है, स्पष्ट तौर पर गठबंधन की बागडोर अपने हाथ में ले चुकी है।

राजनीति में वर्चस्व धीरे-धीरे कमजोर

2005 से 2025 तक के दो दशकों में नीतीश कुमार और जदयू का बिहार की राजनीति में वर्चस्व धीरे-धीरे कमजोर हुआ है। भाजपा ने संगठनात्मक ताकत, केंद्रीय नेतृत्व और चुनावी रणनीति के बल पर खुद को एनडीए का नेता बना लिया है। 2025 का सीट बंटवारा इस बात का प्रतीक है कि नीतीश अब ‘बड़े भाई’ नहीं रहे — और बिहार की सियासत में एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है। 

प्रियदर्शन की रिपोर्ट