'चिराग पासवान PM मोदी और अमित शाह के इशारे के बिना काम नहीं कर सकते क्योंकि वो उनके...'कांग्रेस नेता उदित राज का बड़ा बयान, चुनाव से पहले बिहार में मच सकता है बड़ा बवाल
Bihar Politics: कांग्रेस नेता उदित राज ने चिराग पासवान को पीएम मोदी और अमित शाह का मोहरा बताया और नीतीश कुमार को कमजोर होता नेता करार दिया।

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव के पहले बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। कांग्रेस नेता और दलित चिंतक उदित राज ने बीजेपी, चिराग पासवान और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखे हमले करते हुए कहा कि चिराग पासवान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर ही चलते हैं। उन्होंने चिराग को सीधे-सीधे बीजेपी का "मोहरा" बताया।
उदित राज ने नीतीश कुमार की मौजूदा स्थिति पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि अब वे बीजेपी के छोटे पार्टनर हो गए हैं। जो पहले कभी बड़े हुआ करते थे, अब उन्हें लाले पड़ जाएंगे कि उनका बेटा पंचायत चुनाव भी जीत पाए या नहीं।"
बीजेपी ने नीतीश को चिराग से कटवाया, अब खत्म करने की तैयारी
उदित राज का आरोप है कि पिछली बार चुनावों में बीजेपी ने चिराग पासवान को नीतीश कुमार के खिलाफ खड़ा किया, जिससे नीतीश की सीटें कम हो गईं। उन्होंने कहा कि चिराग की पार्टी से RSS के कैडर उम्मीदवारों को चुनाव में उतारकर नीतीश को कमजोर किया गया।इस बार बीजेपी उन्हें और नीचे गिरा देगी। सीटें चाहे बराबर दे दे, लेकिन असली गेम स्ट्राइक रेट में होगा। बीजेपी खुद को 80-90% स्ट्राइक रेट तक ले जाकर नीतीश को घर बैठा देगी।" – उदित राज
अमित शाह के "हर राज्य जीतेंगे" बयान पर उदित राज का तंज
गृह मंत्री अमित शाह के “बंगाल और तमिलनाडु भी जीतेंगे” बयान पर टिप्पणी करते हुए उदित राज ने कहा कि बीजेपी अब हर राज्य में महाराष्ट्र और हरियाणा मॉडल लागू कर रही है।उदित राज का दावा है किअब चुनावों में बीजेपी जीतने का फार्मूला बना चुकी है। चुनाव आयोग उनके पास है, ईवीएम उनके पास हैं और प्रशासनिक मशीनरी भी।उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी अब तय करती है कि कौन सा चुनाव उन्हें जीतना है और किसे हारना है। “सारा कंट्रोल उनके पास है।”
राहुल गांधी के सवालों पर भी बोले उदित राज
उदित राज ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए लोकतंत्र और ईवीएम से जुड़े सवालों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार के पास उनके सवालों का कोई उत्तर नहीं है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की बातें अब जनता के बीच असर कर रही हैं, लेकिन मीडिया और संस्थाएं दबाव में हैं।