आईजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल को अमेरिका में मिला सम्मान, बिहार में कैंसर की चुनौतियों से दुनिया को कराया अवगत

डॉ मनीष मंडल, विभागाध्यक्ष, गैस्ट्रो सर्जरी एवं चिकित्सा अधीक्षक, आईजीआईएमएस, पटना को हाल ही में अमेरिका सम्मानित किया गया.

Dr Manish Mandal Medical Superintendent of IGIMS
Dr Manish Mandal Medical Superintendent of IGIMS- फोटो : news4nation

Bihar News :  डॉ मनीष मंडल, विभागाध्यक्ष, गैस्ट्रो सर्जरी एवं चिकित्सा अधीक्षक, आईजीआईएमएस, पटना को इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ सर्जन्स, यूनाइटेड स्टेट्स सेक्शन द्वारा डॉ. एनरिको निकोलो मेमोरियल ऑरेशन में आमंत्रित व्याख्यान देने के लिए सम्मानित किया गया। डॉ मनीष मंडल, विभागाध्यक्ष, गैस्ट्रो सर्जरी एवं चिकित्सा अधीक्षक, आईजीआईएमएस, पटना ने बताया कि उन्हें इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ सर्जन्स, यूएसए सेक्शन द्वारा चाल्र्सटन, अमेरिका में आयोजित वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था। डॉ मंडल ने गॉलब्लाडर कार्सिनोमा का प्रबंधन ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में शल्य चिकित्सा संबंधी चुनौतियाँ विषय पर व्याख्यान (ऑरेशन) दिया।

बिहार में बढ़ रहा पित्ताशय कैंसर

डॉ मंडल ने आँकड़े साझा करते हुए बताया कि भारत की कुल जनसंख्या 1.46 बिलियन है, जबकि बिहार की जनसंख्या लगभग 127 मिलियन है। भारत में कुल अस्पतालों की संख्या 54,000 है, जबकि बिहार में यह संख्या लगभग 1,900 है। बिहार में कुल मेडिकल कॉलेजों की संख्या लगभग 20 है, जिनमें से केवल 2 या 3 स्थानों पर ही गॉलब्लाडर कैंसर की सर्जरी होती है।

 पित्ताशय के कैंसर में वृद्धि

भारत में गॉलब्लाडर कैंसर, कैंसर के प्रकारों में 10वां सबसे आम कैंसर है और यह विशेष रूप से उत्तर और पूर्वाेत्तर भारत में देखा जाता है, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में। यह कैंसर गंगा के मैदान और कोसी नदी क्षेत्र में सबसे ज्यादा पाया जाता है। बिहार में इसका ट्यूमर भार दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। आई0जी0आई0एम0एस0, पटना के आंकड़ों के अनुसार, यह महिला प्रधान कैंसर है, जिसमें पुरुष और महिला का अनुपात 1ः3 है। यह कैंसर बिहार के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में देखा जा रहा है। डॉ0 मंडल ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार दूषित भूजल, जिसमें नाइट्रेट्स और आर्सेनिक की मात्रा अधिक होती है, इसके बढ़ते मामलों का मुख्य कारण है।

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आई0जी0आई0एम0एस0, पटना में प्रति वर्ष 500 से अधिक मामले सामने आते हैं, जिनमें से 90ः से 95ः मरीजों में कैंसर एडवांस स्टेज में पाया जाता है। 5ः से 10ः मामलों को जांच के दौरान ऑपरेबल माना जाता है, लेकिन ऑपरेशन के समय केवल 5ः ही वास्तव में ऑपरेबल पाए जाते हैं। इन 5ः मामलों में से आधे मरीजों को बाद में कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की आवश्यकता पड़ती है।

आयुष्मान भारत योजना और सीएम राहत कोष बना वरदान 

डॉ. मंडल ने बताया कि बिहार में उपलब्ध संसाधन सीमित हैं जबकि पित्ताशय कैंसर ट्यूमर का बोझ दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है फिर भी आईजीआईएमएस में हम प्रति माह कम से कम छह मामलों का संचालन कर रहे हैं, जो प्रति वर्ष लगभग 72 से 80 मामले हैं। यूएसए में अपने व्याख्यान में डॉ मंडल ने इस बात पर जोर दिया कि पित्ताशय कैंसर ट्यूमर के इतने बड़े बोझ के साथ बिहार में सीमित संसाधनों में सर्जिकल प्रबंधन कैसे किया जाता है, जहां धन की उपलब्धता, रक्त की उपलब्धता, गरीबी और बीमारी की समझ के बारे में शिक्षा का स्तर मुख्य मुद्दे हैं। डॉ मंडल ने बताया कि बिहार आयुष्मान भारत योजना और सीएम राहत कोष की मदद से इन मामलों का इलाज करने की पूरी कोशिश कर रहा है, जो इस खतरनाक कैंसर से पीड़ित गरीब लोगों के लिए जरूरत के समय में वरदान है।

वैश्विक मंच पर सराहना

उनके ऑरेशन के अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी के सदस्यों ने बिहार विशेषकर आईजीआईएमएस द्वारा गॉलब्लाडर कैंसर के प्रबंधन में किए जा रहे कार्यों की सराहना की एवं इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ सर्जन्स के वल्र्ड प्रेसिडेंट डॉ0 गुइडो पार्केट विल्लाग्रा ने डॉ. मनीष मंडल को उनके शानदार ऑरेशन के लिए मोमेंटो और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर यूएस सेक्शन के प्रेसिडेंट डॉ0 शारिक नज़ीर, इनकमिंग प्रेसिडेंट डॉ0 जोशुआ मैम्मेन और अमेरिकन कॉलेज ऑफ सर्जन्स की प्रेसिडेंट डॉ0 बेथ सटन उपस्थित थे।

वंदना की रिपोर्ट