Dularchand murder case: दुलारचंद यादव की हत्या का मोकामा- बाढ़ में साइड इफेक्ट, डीएम ने दिया कड़ी चेतावनी के साथ ये निर्देश, हड़कंप

जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने स्पष्ट कहा कि कानून व्यवस्था को हाथ में लेने वालों से सख़्ती से निपटा जाएगा।

Dularchand Yadav Murder
दुलारचंद यादव की हत्या का मोकामा- बाढ मे साइड इफेक्ट- फोटो : social Media

Dularchand murder case: बिहार की सियासत में मोकामा हत्याकांड ने चुनावी फिज़ा को झकझोर कर रख दिया है। जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के बाद अब इसका सियासी असर बाढ़ विधानसभा तक फैल चुका है। प्रशासन ने हालात की गंभीरता को देखते हुए दोनों क्षेत्रों में सुरक्षा और निगरानी का पैमाना सख़्त कर दिया है। शुक्रवार को जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम और एसएसपी कार्तिकेय के शर्मा ने मोकामा और बाढ़ विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया। दोनों अधिकारियों ने उम्मीदवारों पर निगरानी बढ़ाने और मतदान समाप्ति तक दंडाधिकारी व वीडियोग्राफर की तैनाती के आदेश जारी कर दिए। यह कदम प्रशासन के लिए साफ संदेश है कि कानून से ऊपर कोई नहीं।डीएम डॉ. त्यागराजन ने सख़्त लहजे में कहा कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे वह किसी दल का प्रत्याशी हो, अधिकारी हो या अन्य हितधारक सबको कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कानून व्यवस्था को हाथ में लेने वालों से सख़्ती से निपटा जाएगा।

इस हत्याकांड में जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली नेता अनंत सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से राजनीतिक हलकों में हलचल और बेचैनी है। विपक्ष इसे राजनीतिक आतंक की मिसाल बता रहा है, जबकि सत्तारूढ़ पक्ष इसे जांच के तहत मामला कहकर टालने की कोशिश में है।

प्रशासन ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं  बिना अनुमति चलने वाले वाहनों की तुरंत जब्ती, संदिग्ध व्यक्तियों पर सीसीए के प्रस्ताव, अवैध हथियारों की बरामदगी में तेजी, और उम्मीदवारों के चुनावी खर्च पर पैनी नजर।

डीएम डॉ. त्यागराजन ने सख़्त लहजे में कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनियमितता बर्दाश्त नहीं होगी। उड़न दस्ते, स्टैटिक सर्विलांस टीम और वीडियो मॉनिटरिंग यूनिट्स को चौबीस घंटे सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोकामा कांड ने चुनावी माहौल में भय और अविश्वास का साया डाल दिया है। वहीं प्रशासन की सख्ती यह संदेश देने की कोशिश है कि मतदान ‘भयमुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी’ माहौल में ही होगा।

अब छह नवंबर को यह देखना अहम होगा कि जनता की आवाज गोलियों की गूंज पर भारी पड़ती है या नहीं  क्योंकि बिहार की ज़मीन पर लोकतंत्र और दबंगई की यह लड़ाई अब अपने निर्णायक मोड़ पर है।