Bihar News: डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और वरिष्ठ मंत्री में जोरदार भिड़ंत, कैबिनेट मीटिंग बना अखाड़ा, नीतीश के फरमान पर मचा बवाल

मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद जमीन के मुद्दे पर डिप्टी सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी आमने-सामने आ गए।

Fierce clash between Deputy CM Vijay Sinha and Minister Asho
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और मंत्री अशोक चौधरी में जोरदार भिड़ंत- फोटो : social Media

Bihar News: बिहार की राजनीति वैसे तो पहले से ही तकरार, तंज और तकरार के तड़के के लिए मशहूर है, लेकिन आज यानी मंगलवार को कैबिनेट की बैठक खत्म होते ही विभाग की गलियों में अचानक से एक नया ‘जमीन युद्ध’ छिड़ गया। मौका था मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद का, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के डिप्टी सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी आमने-सामने आ गए। वजह? सरकार का काम या जनता का सवाल नहीं, बल्कि ‘कृषि फार्म की जमीन’।

दरअसल, जेडीयू कोटे के मंत्री जमा खान अपने विधानसभा क्षेत्र चैनपुर में कॉलेज बनवाने के लिए जमीन तलाश रहे हैं। नजर पड़ी कृषि विभाग की जमीन पर। अब आदेश देने का दबाव अशोक चौधरी ने विजय सिन्हा पर बना दिया। चौधरी ने कहा कि कॉलेज के लिए कृषि फार्म की जमीन ट्रांसफर कर दीजिए। लेकिन डिप्टी सीएम ने वहीं जवाब दोहराया, जो नीतीश कुमार बार-बार कहते आए हैं  “जितनी जमीन दोगे, उतनी लेंगे। जब तक बदले में कृषि विभाग को दूसरी जमीन नहीं मिलेगी, हस्तांतरण नामुमकिन है।”

यहीं से राजनीतिक नाटक की पटकथा लिखी गई। अशोक चौधरी ने व्यंग्य बाण छोड़ा  “आप ही हमेशा  कृषि मंत्री बने रहेंगे क्या?” जवाब में विजय सिन्हा भी कहां चुप रहने वाले थे। उन्होंने भी पलटवार कर दिया और देखते ही देखते ‘मंत्रिमंडल कक्ष’ किसी ‘राजनीतिक कुश्ती मैदान’ में बदल गया।

मामला जब ज्यादा गर्माने लगा तो पास खड़े एक वरिष्ठ मंत्री ने बीच-बचाव कर माहौल संभाल लिया। लेकिन सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार की सरकार के मंत्री अब जनता के मुद्दों से ज्यादा जमीन की जंग में मशगूल हो गए हैं? बिहार की राजनीति में यह पहला मौका नहीं जब पार्टी के भीतर के नेता आपस में भिड़े हों, लेकिन यह भिड़ंत खास है क्योंकि इसमें डिप्टी सीएम और सत्तारूढ़ खेमे के दिग्गज मंत्री आमने-सामने थे।

विरोधाभास ये है कि नीतीश कुमार बार-बार मंत्रियों को अनुशासन और सामूहिक जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाते हैं, लेकिन उन्हीं की आंखों के सामने उनकी टीम जरा-सी जमीन के लिए आपसी आरोप-प्रत्यारोप में उलझ जाती है। जिस सरकार का दावा है कि वो शिक्षा और कृषि सुधारों पर काम कर रही है, उसके मंत्री शिक्षा संस्थान की जमीन भी आपसी विवाद और तंज कसी के बीच मांग रहे हैं।

बिहार की जनता पूछ रही है  क्या कैबिनेट की बैठक अब फैसले लेने की जगह राजनीतिक ड्रामा मंच बन गई है? नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब न विपक्ष है और न चुनावी समीकरण, बल्कि खुद उनकी ही ‘मंत्रिपरिषद टीम’ है जो जमीन के टुकड़े पर ही एक-दूसरे से ‘कट्टर विरोधी’ बन बैठी है।

 राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि इस तरह की घटनाएं कहीं न कहीं नीतीश सरकार की ‘साख’ पर भी सवाल खड़े करती हैं। आखिर जब मंत्री ही जमीन को लेकर भिड़ जाएंगे तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा? बिहार की राजनीति में ये जमीन विवाद अब आने वाले दिनों में और ज्यादा सियासी तूफान खड़ा करने वाला है।