Bihar Politics:महागठबंधन में सीटों पर डील फाइनल, 243 सीटों पर बनी रणनीति, इस दिन सेनापति तेजस्वी का ऐलान, जानिए सियासी गणित

तेजस्वी यादव अब सिर्फ़ विपक्ष के नेता नहीं, बल्कि महागठबंधन के सेनापति बनकर सामने आए हैं।

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महागठबंधन में सीटों पर डील फाइनल- फोटो : social Media

Bihar Politics:बिहार की सियासत में शनिवार का दिन अचानक हलचल भरा साबित हुआ। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सरकारी आवास एक पोलो रोड पर महागठबंधन की गुपचुप लेकिन निर्णायक बैठक हुई। यह मीटिंग पूर्व नियोजित नहीं थी, लेकिन तक़रीबन ढाई घंटे चली इस सियासी मशवरे ने बिहार की राजनीति में नई सरगर्मी पैदा कर दी।

बैठक के बाद बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने मीडिया के सामने खुलासा किया कि महागठबंधन के तमाम घटक दलों के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन चुकी है। सभी 243 विधानसभा सीटों पर गहन मंथन हुआ और यह तय किया गया कि इस बार हर दल को अपने-अपने मज़बूत किलों में ही उम्मीदवार उतारने का मौक़ा मिलेगा। राजेश राम ने साफ़ कहा कि 2020 की तरह इस बार भ्रम और टकराव की गुंजाइश नहीं होगी, बल्कि सीट बंटवारा समझौते और तालमेल की नई इबारत लिखेगा।सबसे अहम बात यह रही कि महागठबंधन की समन्वय समिति की अगली बैठक में पशुपति पारस की रालोजपा और हेमंत सोरेन की जेएमएम को औपचारिक तौर पर शामिल करने पर मुहर लग सकती है। यानी अब महागठबंधन की सियासी गाड़ी आठ पहियों पर दौड़ेगी  आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी, सीपीआई-माले, सीपीआई, सीपीएम, रालोजपा और जेएमएम।

यहाँ सबसे बड़ी चुनौती यह है कि नए साथियों को जगह देने के लिए पुराने खिलाड़ियों को कुर्बानी देनी होगी। सूत्र बताते हैं कि आरजेडी और कांग्रेस को कुछ सीटें छोड़नी पड़ सकती हैं, क्योंकि बीते चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा न रहने वाली वीआईपी और अब जुड़ रही पार्टियों के लिए जगह बनानी ही होगी।बैठक के बाद वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने ऐलान किया 15 सितंबर तक सीट बंटवारे की तस्वीर साफ़ हो जाएगी। हम लोग एक-एक सीट पर तर्कसंगत चर्चा कर रहे हैं कि कौन, कहां से मज़बूत है और किसको लड़ाने से महागठबंधन को ज़्यादा फ़ायदा मिलेगा।" सहनी ने यह भी स्पष्ट किया कि “तेजस्वी यादव ही महागठबंधन के मुखिया और मुख्यमंत्री के चेहरा होंगे, उपमुख्यमंत्री के चेहरे पर भी कोई मतभेद नहीं है।

दरअसल, 16 दिन की वोटर अधिकार यात्रा के बाद यह पहली बार था जब महागठबंधन एक मंच पर बैठा। इस यात्रा ने कांग्रेस समेत सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरी है। राजेश राम का कहना है कि यात्रा के बाद “संगठन का मनोबल आसमान छू रहा है और अब सीट बंटवारे पर विवाद जैसी कोई बात नहीं बची।

सियासी पंडितों का मानना है कि बिहार की राजनीति में यह बैठक एक “मील का पत्थर” साबित हो सकती है। एक ओर भाजपा-जेडीयू गठबंधन सत्ता बचाने की जद्दोजहद में है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन ने एकजुट होकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि विपक्ष इस बार बिखरा नहीं बल्कि और मज़बूत होकर मैदान में उतरेगा।यानी तस्वीर साफ़ है  तेजस्वी यादव अब सिर्फ़ विपक्ष के नेता नहीं, बल्कि महागठबंधन के सेनापति बनकर सामने आए हैं। सीट बंटवारे की पहेली चाहे जितनी जटिल हो, लेकिन राजनीतिक समीकरण यह कह रहे हैं कि इस बार का रण “सीटों का संग्राम” होगा और हर सीट पर तगड़ी सौदेबाज़ी के बाद ही उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे।