Tenant rights: रेंट पे घर लिया है? न किराया मनमाना चलेगा, न जबरन निकाला जाएगा! जानिए क्या कहता है कानून?

भारत में किराएदारों को कई कानूनी अधिकार दिए गए हैं, जो उन्हें मकान मालिक की जबरदस्ती या गलत व्यवहार से बचाते हैं।...

Tenant rights: रेंट पे घर लिया है? न किराया मनमाना चलेगा, न
न किराया मनमाना चलेगा, न जबरन निकाला जाएगा!- फोटो : social Media

Tenant rights:शहरों में जब ज़िंदगी एक छोटे से कमरे में सिमटती है, तब वो कमरा सिर्फ़ ईंट और पत्थर की दीवार नहीं रह जाता वो आपका आशियाना, आपका सुकून बन जाता है। लेकिन क्या हो जब उस सुकून पर मकान मालिक की मनमानी धावा बोल दे? बिना नोटिस घर से बेदखली, किराए में अचानक बढ़ोतरी या फिर आपकी निजता में दखलअंदाज़ी—ये सब सवाल खड़े करते हैं: क्या किराएदार के कोई हक़ नहीं होते?

भारत में किराएदारों और मकान मालिकों दोनों के अधिकार स्पष्ट रूप से तय हैं, पर अक्सर जानकारी के अभाव में किराएदार अपने ही घर में पराए जैसे महसूस करने लगते हैं। जबकि सच ये है कि कानून उनके साथ खड़ा है। बस उसे जानने और समझने की ज़रूरत है।किराएदार को लिखित एग्रीमेंट की मांग करने का हक़ है। 11 महीने का अनुबंध सामान्य है, जिससे रजिस्ट्रेशन की बाध्यता से बचा जा सके, लेकिन इसे नोटरी से सत्यापित जरूर करवाना चाहिए। Rent Control Act, 1948 कहता है कि बिना उचित कारण और बिना नोटिस किसी भी किराएदार को नहीं निकाला जा सकता।केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित यह कानून किराए से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए बना है। हालांकि सभी राज्यों ने अभी इसे पूरी तरह लागू नहीं किया है।

मकान मालिक किराएदार की अनुमति के बिना घर में प्रवेश नहीं कर सकता यह उसकी निजता का उल्लंघन है और दंडनीय भी हो सकता है।अगर मकान मालिक मरम्मत नहीं कराता, तो किराएदार खुद करवा सकता है और उसका खर्च किराए या डिपॉजिट से समायोजित कर सकता है।पर्दे, बल्ब, पेंट जैसे बदलाव किराएदार कर सकता है। लेकिन बड़े बदलाव (दीवार तोड़ना आदि) बिना लिखित अनुमति के नहीं किए जा सकते।

अगर एग्रीमेंट 12 महीने या अधिक का है, तो उसे रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य है। स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस लीज़ अवधि और किराए के मुताबिक तय होती है। 5 साल तक की लीज पर 2%, 5-9 साल पर 3%, और 9 साल से अधिक पर 6% स्टांप ड्यूटी लगती है।

साफ-सुथरा एग्रीमेंट, समय पर किराया, लिखित संवाद और कानूनी जानकारी—ये वो औज़ार हैं जो आपको न सिर्फ़ सुरक्षित रखते हैं, बल्कि मकान मालिक से बराबरी की हैसियत भी दिलाते हैं। तो अगली बार जब कोई कहे "किराएदार हो, चुपचाप रहो", तो उसे याद दिलाइए आप किराएदार हैं, किराए पर नहीं आपके अधिकार हैं!