Bihar weather:प्रलय का पैगाम, अगले 48 घंटे में इन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी, IMD ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट, बिहार में जल-प्रलय से हाहाकार
Bihar weather: मौसम विभाग ने अगले दो दिनों तक राज्य में तेज बारिश की भविष्यवाणी की है, जिससे हालात और बदतर होने की आशंका है।

Bihar weather:बिहार में इन दिनों कुदरत का कहर जारी है। मौसम सेवा केंद्र के निदेशक डॉ सीएन प्रभु ने बिहारवासियों को चेतावनी दी है कि अगले दो दिन बारिश से भीगने वाले हैं। 8 और 9 अगस्त को पूरे बिहार में मानसून की गतिविधियां तेज़ होने की संभावना है, और 10 अगस्त तक पटना में विशेष अलर्ट जारी किया गया है।
8 से 9 अगस्त के बीच बिहार में तेज मानसूनी वर्षा की संभावना जताई गई है।मानसून ट्रफ लाइन की स्थिति में बदलाव हुआ है। बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव क्षेत्र बन रहा है जिससे बिहार में भारी बारिश हो सकती है।
अगले 48 घंटों में अधिकतम तापमान में 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि हो सकती है।हालांकि न्यूनतम तापमान में खास बदलाव नहीं होगा।पटना सहित राज्य के सभी हिस्सों में भारी से मध्यम बारिश के साथ बिजली चमकने और तेज़ हवाओं की संभावना है। नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है और निचले इलाकों में जलजमाव की स्थिति बन सकती है।
एक तरफ जहां पूरा प्रदेश मॉनसून की बेरुखी से 26 फीसदी कम बारिश की मार झेल रहा है, वहीं दूसरी ओर गंगा और उसकी सहायक नदियां उफान पर हैं, जिसने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक यानी 8 और 9 अगस्त को राज्य में तेज बारिश की भविष्यवाणी की है, जिससे हालात और बदतर होने की आशंका है। पटना समेत कई जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। ऐसा लग रहा है कि एक साथ दोहरी मार ने सरकार और प्रशासन की नींदें उड़ा दी हैं।
बिहार के कई जिलों में गंगा नदी का विकराल रूप देखने को मिल रहा है। मुंगेर, बक्सर, पटना और बेगूसराय में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे सैकड़ों गांव और शहरी इलाके जलमग्न हो गए हैं। मुंगेर के बरियारपुर स्थित कृष्णा नगर में तो 80 घरों में कमर तक पानी भर गया है, जबकि सड़कों पर 2 फीट तक पानी बह रहा है। यहां के निवासियों को बेसहारा छोड़ दिया गया है। पटना में भी महावीर घाट और भद्र घाट डूब चुके हैं, जिसके कारण कई सड़कें बंद कर दी गई हैं। नदी थाने में भी पानी घुस चुका है।
इस अभूतपूर्व स्थिति में, प्रशासन ने सिर्फ बांस-बल्ले लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। सवाल उठता है कि क्या सरकार के पास इस तरह के आपदा से निपटने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है? क्या हर साल बिहार को इसी तरह के तबाही का सामना करना पड़ेगा?
बाढ़ का असर सिर्फ घरों और सड़कों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसने शिक्षा व्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। खगड़िया में बाढ़ के कारण 32 स्कूलों को 14 अगस्त तक के लिए बंद कर दिया गया है, जबकि वैशाली के राघोपुर में भी 80 स्कूलों पर ताला लटका दिया गया है। मासूम बच्चों के भविष्य पर यह पानी का साया किसी विनाशकारी संकट से कम नहीं है। क्या सरकार इन बच्चों की शिक्षा की भरपाई के लिए कोई विशेष इंतज़ाम करेगी या वे भी इस बाढ़ की चपेट में आकर पिछड़ जाएंगे?
जहां एक तरफ सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी तरफ ये तस्वीरें एक अलग ही कहानी बयां कर रही हैं। यह अराजकता और अफरा-तफरी का माहौल क्या सरकार की लापरवाही का नतीजा नहीं है? क्या सरकार ने समय रहते तटबंधों और बाढ़ प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया? जनता का आक्रोश चरम पर है और वे अपने नेताओं से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। इस विषम परिस्थिति में जनता का दर्द और उनकी बेबसी साफ नजर आ रही है। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस चुनौती से प्रभावी ढंग से निपट पाती है या फिर बाढ़ की लहरों में उसकी नाकामी भी बह जाएगी। यह सवाल सिर्फ जनता के मन में नहीं, बल्कि पूरे राज्य की सियासत में गूंज रहा है।