Bihar News : जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जारी किया फरमान, नीतीश कुमार, चिराग पासवान के इस काम का मुस्लिम करें बहिष्कार

मुसलमानों का वोट लेकर उनके हक-अधिकार के मुद्दे पर जदयू, लोजपा जैसे दलों पर वादाखिलाफी करने का आरोप जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने लगाया है. साथ ही चुनावी वर्ष में बिहार के मुसलमानों से नीतीश कुमार, चिराग पासवान जैसे नेताओं के खिलाफ एक अपील की है.

Jamiat Ulema e Hind
Jamiat Ulema e Hind- फोटो : news4nation

Bihar News :  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान सहित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को लेकर प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक फरमान जारी किया है. इसमें मुसलमानों से अपील की गई है कि वे इन नेताओं द्वारा रमजान के महीने में दी जाने वाली इफ्तार, ईद मिलन और दूसरे कार्यक्रमों का बहिष्कार करें. इसके साथ ही अन्य मुस्लिम संगठनों से भी ऐसा ही करने की अपील की गई है. 


जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में आरोप लगाया कि नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेता सत्ता की खातिर न केवल मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय को नजरअंदाज कर रहे हैं, बल्कि देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की भी अनदेखी कर रहे हैं। ये नेता सरकार के ‘संविधान विरोधी कदमों’ का समर्थन कर रहे हैं। 


उन्होंने दावा किया, ‘‘देश में इस समय जिस तरह के हालात हैं और खासकर अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों के साथ जो अन्याय और अत्याचार किया जा रहा है, वह किसी से छुपा नहीं है। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि खुद को धर्मनिरपेक्ष और मुसलमानों का हमदर्द बताने वाले नेता, जिनकी राजनीतिक सफलता में मुसलमानों का भी योगदान रहा है, वे सत्ता के लालच में न केवल खामोश हैं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से अन्याय का समर्थन भी कर रहे हैं।’’ 


अरशद मदनी ने आरोप लगाया कि ‘‘वक्फ संशोधन विधेयक पर इन नेताओं का रवैया इनके दोहरे चरित्र को उजागर करता है। ये नेता केवल मुसलमानों के वोट हासिल करने के लिए दिखावे का धर्मनिरपेक्षता को अपनाते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को पूरी तरह भुला देते हैं। इसी के मद्देनजर जमीयत उलमा-ए-हिंद ने निर्णय लिया है कि वह ऐसे नेताओं के आयोजनों में शामिल होकर उनकी नीतियों को वैधता प्रदान नहीं करेगी।’’ मदनी ने देश के अन्य मुस्लिम संगठनों से भी अपील की है कि वे भी इस सांकेतिक विरोध में शामिल हों और इन नेताओं की इफ्तार पार्टी और ईद मिलन जैसे आयोजनों में भाग लेने से परहेज करें।

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