Bihar News : इमारत शरिया सहित कई मुस्लिम संगठनों ने ठुकराया बिहार सरकार के दावत-ए-इफ्तार का निमंत्रण, सीएम नीतीश पर लगाया गंभीर आरोप

Bihar News : दावत ए इफ्तार से एक दिन पहले मुस्लिम संगठनों ने बिहार सरकार के निमंत्रण को ठुकरा दिया है. इन संगठनों ने इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है. उन्होंने सीएम नीतीश पर गंभीर आरोप लगाया है...पढ़िए आगे

Bihar News : इमारत शरिया सहित कई मुस्लिम संगठनों ने ठुकराया बिहार सरकार के दावत-ए-इफ्तार का निमंत्रण, सीएम नीतीश पर लगाया गंभीर आरोप
इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं होने का फैसला - फोटो : social media

PATNA : इमारत शरिया ने बिहार सरकार के दावत-ए-इफ्तार में जाने से इंकार कर दिया है। इसके साथ कई और मुस्लिम संगठनों ने भी इस कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया है। इमारत शरिया की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में कहा गया गया है की 23 मार्च 2025 को होने वाले सरकारी इफ्तार में शामिल नहीं होंगे। यह निर्णय वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 के प्रति आपके निरंतर समर्थन के विरोध में लिया गया है। यह विधेयक वक़्क़ संपत्तियों के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा है, संवैधानिक संरक्षण का उल्लंघन करता है, और मुसलमानों की आर्थिक एवं शैक्षणिक पिछड़ेपन को और गहरा करता है।

लोकतांत्रिक और संवैधानिक सिद्धांतों के साथ विश्वासघात

आपने बिहार की जनता से धर्मनिरपेक्ष शासन और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का वादा करके सत्ता प्राप्त की थी। लेकिन भाजपा के साथ आपका गठबंधन और इस अतार्किक और असंवैधानिक कानून का समर्थन उन प्रतिबद्धताओं के खिलाफ जाता है। यदि यह विधेयक लागू हुआ, तो यह शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला आश्रयों और धार्मिक स्थलों के लिए समर्पित सदियों पुराने वक़्फ़ संस्थानों को नष्ट कर देगा। इससे मुस्लिम समुदाय और अधिक वंचित और गरीब हो जाएगा, जैसा कि सच्चर समिति की रिपोर्ट में पहले ही चेतावनी दी गई थी। संविधान का सम्मान केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि नीतिगत होना चाहिए आपके इफ्तार निमंत्रण का उद्देश्य आपसी विश्वास और सौहार्द को बढ़ावा देना है, लेकिन भरोसा केवल प्रतीकात्मकता पर नहीं, बल्कि ठोस नीतिगत कदमों पर आधारित होता है। आपकी सरकार द्वारा मुसलमानों की चिंताओं की उपेक्षा ऐसे औपचारिक आयोजनों को अर्थहीन बना देती है।

मुस्लिम संगठनों की मांग

मुस्लिम संगठनों ने माँग करते हुए कहा की वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 से तत्काल समर्थन वापस लिया जाए। हम माँग करते हैं कि आप वक़्क़ संशोधन विधेयक 2024 के समर्थन को सार्वजनिक रूप से वापस लें। वक़्क़ संस्थानों के संवैधानिक संरक्षण को सुनिश्चित करें। मुस्लिम संगठनों के साथ वास्तविक संवाद स्थापित करें।

जवाबदेही और भविष्य की रणनीति

यदि यह विधेयक कानून बनता है, तो इसके लिए आप और आपकी पार्टी (JDU) पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे। हम इस असंवैधानिक कदम का लोकतांत्रिक, कानूनी और राजनीतिक माध्यमों से विरोध जारी रखेंगे।

यह अन्याय के विरुद्ध एक सशक्त अस्वीकृति है, संवाद के नहीं

यह पत्र अन्याय के विरोध में एक ठोस रुख को दर्शाता है, संवाद से इनकार नहीं। हम संवाद के लिए तैयार हैं, लेकिन सिर्फ तभी, जब वह ठोस नीतिगत बदलाव लाने की ओर अग्रसर हो।

इन संगठनों ने किया बहिष्कार

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), इमारत-ए-शरीयत बिहार, झारखंड, ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अलिफ), जमीयत उलेमा-ए-हिंद (मीम), जमीयत अहले हदीस, जमात-ए-इस्लामी हिंद, खानक़ाह मुजीविया, खानक़ाह रहमानी और अन्य प्रतिष्ठित संगठन दावत ए इफ्तार में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। कहा की संवैधानिक अधिकारों, लोकतंत्र, और न्याय की रक्षा में जारी किया गया।

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