Bihar Budget : बिहार के नगर निकायों के मेयर और मुख्य पार्षदों के साथ ही उप मुख्य पार्षद और पार्षद का निर्वाचन जरुर सीधे जनता द्वारा किया गया है लेकिन सारी शक्ति सिर्फ मुख्य पार्षदों के पास है. नगर निकाय मुख्य पार्षदों के पास सारे संवैधानिक अधिकार सिमट जाने का यह मुद्दा बुधवार को बिहार विधान परिषद में उठाया गया. जदयू एमएलसी नीरज कुमार ने अपनी ही सरकार के समक्ष यह मुद्दा सदन में उठाया. साथ ही नगर विकास विभाग के मंत्री से इस मामले में जरूरी संशोधन की मांग की.
नीरज कुमार ने कहा कि बिहार में हुए नगर निकाय चुनाव में चेयरमैनम, वाईस चेयरमैन और पार्षदों का निर्वाचन सीधा मतदाताओं द्वारा किया गया है. लेकिन सारी शक्ति सिर्फ चेयरमैन के पास रह गई है. नतीजा है कि उप मुख्य पार्षद और पार्षद के पास कोई ताकत नहीं रह गई है. उन्होंने संकेत दिया कि चेयरमैन को मिल चुकी अकूत शक्ति के कारण उप मुख्य पार्षद और पार्षद की किसी भी काम में कोई भूमिका नहीं रह जाती है. ऐसे में नगर निकायों में जो विकेन्द्रीकरण का होना चाहिए वह नहीं होता पा रहा है.
उन्होंने नगर विकास विभाग के मंत्री से से मांग की मौजूदा नगर विकास अधिनियम में बदलाव किया जाए. इससे नगर निकायों के मुख्य पार्षदों के साथ ही उप मुख्य पार्षदों और पार्षदों को भी उचित शक्ति मिलेगी. साथ ही यह नगर निकायों को ज्यादा पारदर्शी तरीके से काम करने की ओर ले जाएगा. उन्होंने नगर निकायों में अकेले चेयरमैन को मिल चुकी शक्तियों को उचित नहीं माना.
उपमुख्य पार्षद पहले ही कर चुके हैं मांग
बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 में संशोधन कर मेयर और मुख्य पार्षद की तरह ही उपमेयर और उपमुख्य पार्षद को संवैधानिक अधिकार दिए जाने को लेकर पहले भी मांग हुई है. बिहार उपमुख्य पार्षद संघ के नेतृत्व में राज्यभर से पहुंचे उप मुख्य पार्षद अपने संवैधानिक अधिकर को लेकर सितम्बर 2023 में पटना में प्रदर्शन कर चुके हैं. उनका कहना रहा है कि जनता ने हमें सीधे मत देकर चुना है, लेकिन हम जनता के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं. ऐसे में हमें भी उचित अधिकार मिले जिससे मेयर और मुख्य पार्षद की तरह ही उपमेयर और उपमुख्य पार्षद को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो.