Kailashpati Mishra Death Anniversary : बक्सर में जन्मे कैलाशपति मिश्र ने भारतीय जनता पार्टी को बिहार में दिलाई पहचान, जानिए कैसा था सियासी सफ़र

Kailashpati Mishra Death Anniversary : बिहार बीजेपी के भीष्म पितामह कहे जानेवाले कैलाशपति मिश्र ने पार्टी को नई पहचान दिलाई. जानिये कैसा रहा उनका सियासी सफ़र.......पढ़िए आगे

Kailashpati Mishra Death Anniversary : बक्सर में जन्मे कैलाश
बिहार बीजेपी के भीष्म पितामह - फोटो : SOCIAL MEDIA

PATNA : स्वर्गीय कैलाशपति मिश्र भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक ऐसे संस्थापक सदस्य और नेता थे, जिनका राजनीतिक जीवन समर्पण, सादगी और मजबूत संगठनात्मक क्षमता का प्रतीक था। उन्हें बिहार की राजनीति में 'भीष्म पितामह' की उपाधि दी गई थी। कैलाशपति मिश्र का जन्म 5 अक्टूबर 1923 को बक्सर जिले के दुधारचक गांव में हुआ था। उनका सार्वजनिक जीवन छात्र जीवन में ही शुरू हो गया था। उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपनी किशोरावस्था में ही जेल गए। इसके बाद 1945 में उनका संपर्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से हुआ, जिसके बाद उन्होंने आजीवन अविवाहित रहकर राष्ट्र और संगठन के लिए खुद को समर्पित करने का संकल्प लिया। 

उन्होंने संघ के प्रचारक के रूप में आरा, पूर्णिया और पटना जैसे क्षेत्रों में कार्यभार संभाला। जिससे कैलाशपति मिश्र को बिहार में भारतीय जनसंघ (बाद में भाजपा) के शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। 1955 में, उन्हें संघ से भारतीय जनसंघ की स्थापना और उसे मजबूत करने के लिए बिहार भेजा गया था। 1959 में उन्हें जनसंघ के बिहार प्रदेश संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई, जो बिहार में पार्टी की नींव रखने में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई। उन्होंने राज्य के शायद ही किसी कोने को छोड़ा होगा, जहाँ वे कार्यकर्ताओं से मिलने न गए हों। जनसंघ से लेकर भाजपा तक की पार्टी की इमारत को ईंट-ईंट जोड़कर खड़ा करने के कारण ही उन्हें बिहार भाजपा का 'भीष्म पितामह' कहा जाता है। 

संगठन के प्रति पूर्ण समर्पण के बावजूद, उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण प्रशासनिक और राजनीतिक पदों पर भी कार्य किया।  1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने पर वह बिक्रम विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और कर्पूरी ठाकुर की सरकार में बिहार के वित्त मंत्री बने। उनकी सादगी का अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि मंत्री पद से हटने के बाद उनके बैंक खाते में मात्र ₹1300 थे। उन्होंने 2003 से 2004 तक गुजरात के राज्यपाल के रूप में कार्य किया और कुछ समय के लिए राजस्थान के राज्यपाल (कार्यवाहक) भी रहे। कैलाशपति मिश्र की सबसे बड़ी विरासत उनकी संगठनात्मक क्षमता और कार्यकर्ताओं के प्रति उनका स्नेह था। उन्होंने ही बिहार में भाजपा के कार्यकर्ताओं की एक पूरी पीढ़ी तैयार की और उन्हें पार्टी से जोड़े रखा। उनके लिए संगठन ही उनका परिवार था। 

बिहार में एनडीए गठबंधन की स्थापना में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था। उन्हें सात्विक और संत प्रवृत्ति का राजनेता माना जाता था। वे कार्यकर्ताओं के घर भोजन करना पसंद करते थे और हमेशा आदर्श जीवन और नैतिक राजनीति के प्रतीक बने रहे। कैलाशपति मिश्र का निधन 3 नवंबर 2012 को पटना में हुआ। बिहार में भाजपा की आज की मजबूत स्थिति उनकी दशकों की तपस्या और निःस्वार्थ सेवा का ही परिणाम मानी जाती है।