200 रुपये हाथ में लेकर क्यों रोने लगे लालू प्रसाद यादव? जब कैदी वार्ड में पहुंची राबड़ी देवी तब क्या हुआ?
लालू यादव अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों में आर्थिक तंगी से परेशान थे। लालू यादव पाई पाई के मोहताज थे। तब उन्हें जेपी ने 200 रुपए की मदद की थी पैसों को हाथ में लेकर लालू रोने लगे थे...पढ़िए आगे..

पटना: बिहार में जेपी के नेतृत्व में लालू यादव लगातार आगे बढ़ रहे थे। इसी दौरान उनका गौना भी हो गया। राबड़ी देवी अपने मायके से लालू यादव के घर आ गईं। 18 मार्च 1974 में पटना में प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में लालू के मरने की खबर राबड़ी देवी को मिलती है। हालांकि, राबड़ी देवी को बाद में पता चलता है कि लालू यादव जिंदा हैं। उसके एक सप्ताह बाद लालू यादव गिरफ्तार हो जाते हैं। लालू यादव को बांकीपुर सेंट्रल जेल में रखा जाता है। उसके बाद लालू जेल में बंद रहते हुए भी अपने विरोधी स्वभाव को कंट्रोल नहीं रख पाते हैं। लालू यादव लगातार अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं। लालू यादव की ओर से जेल में सुविधा बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन और उपवास का कार्यक्रम शुरू होता है। लालू ने अपनी आत्मकथा 'गोपालगंज से रायसीना', में इसका जिक्र किया है।
कैदी वार्ड में लालू से मिलने आती थी राबड़ी
अगस्त 1974 में लालू यादव जेल में सुविधा बढ़ाने की मांग को लेकर उपवास करते हैं। उसके बाद उनकी तबीयत खराब हो जाती है। लालू यादव को जेल से पटना के पीएमसीएच कैदी वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। 'गोपालगंज से रायसीना', मेरी राजनीतिक यात्रा पुस्तक में इस बात की चर्चा है कि लालू यादव को कैदी वार्ड में रहते हुए बहुत सारे लोगों की मदद मिलती है। उस दौरान लालू को राम बहादुर राय, महामाया प्रसाद सिन्हा, बैद्यनाथ बाबू और संपूर्ण क्रांति के कार्यकर्ता उनकी भरपूर मदद करते हैं। लालू यादव ने अपनी आत्मकथा में ये बात स्वीकार की है कि- मेरे नजदीकी दोस्त उन दिनों राबड़ी को मेरे पास ले आते थे और कैदी वार्ड में ही ऐसी व्यवस्था कर देते थे, ताकि हम अकेले में मिलें और बातचीत कर सकें। उन्होंने उन सुरक्षाकर्मियों से दोस्ती गांठ ली थी, जो मुझ पर हमेशा नजर रखते थे। मेरे दोस्तों को ये बात पता थी कि मुझे और राबड़ी को आम पति-पत्नी की तरह मिलने का अवसर कम ही मिला था, क्योंकि गौने के कुछ दिनों के बाद ही मैं गिरफ्तार हो गया था।
लालू ने पहली संतान का नाम क्यों रखा मीसा ?
कैदी वार्ड में लालू यादव की राबड़ी देवी से प्राइवेट मुलाकात होती है। उसके बाद लालू यादव को राबड़ी देवी के गर्भवती होने की सूचना मिलती है। उस दौरान लालू यादव मीसा के तहत कैद में होते हैं। लालू यादव को 22 मई, 1975 को पहली संतान पैदा होती है। लालू यादव कहते हैं- ' मैं पत्नी से मिलने और नवजात बच्ची को देखने के लिए कुछ दिनों के लिए पैरोल पर बाहर आया। चूकी मैं मीसा के तहत गिरफ्तार हुआ था, इसलिए जेपी ने सुझाव दिया कि मैं अपनी नवजात बच्ची को मीसा पुकारूं- इस तरह मेरी पहली संतान का नाम मीसा भारती हुआ'। लालू यादव ने अपनी में इस बात को स्वीकार किया है कि उन दिनों जेपी लालू यादव के घर पहुंचते हैं। उसके बाद वे राबड़ी-लालू से मिलते हैं। उसी दौरान वे मीसा भारती को आशीर्वाद देते हैं। लालू कहते हैं कि आज भी वो श्वेत श्याम तस्वीर मेरे पास मौजूद है। वो मेरे लिए एक बेशकीमती खजाना है।
जब जेपी ने लालू को थमाया 200 रुपए
गरीब परिवार से आने वाले लालू यादव आंदोलन के दिनों में काफी परेशान रहे। वो पाई-पाई के लिए मोहताज रहते थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में इस बात की विस्तार से चर्चा की है। लालू यादव को इस दौरान एक दिन जेपी अपने घर बुलाते हैं। उसके बाद लालू यादव से उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में पूछते हैं। लालू यादव जेपी से अपनी आर्थिक विपन्नता के बारे में बताते हैं। उसके बाद लालू यादव जेपी से 200 रुपये मांगते हैं। जेपी अपनी दराज खोलते हैं और लालू यादव के हाथ में 200 रुपये थमा देते हैं। लालू यादव ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा है कि- मेरी आंखों में आंसू आ गए थे। जेपी ने अपने सचिव सच्चिदानंद को मेरे परिवार की देखरेख करने और मुझे आर्थिक रूप से मदद करने का आदेश भी दिया। लालू का मानना था कि जेपी जानते थे कि लालू यादव एक गरीब आदमी है। आंदोलन के लिए जेल में है। इसलिए उसके परिवार को आर्थिक सहायता की सख्त जरूरत है। इस प्रसंग में लालू यादव रोने को मजबूर हो गए। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। ताजा-ताजा राबड़ी देवी मां बनी थीं। घर के खर्चे बढ़ गए थे। लालू यादव आंदोलन की वजह से जेल में थे। उस दौरान जेपी ने 200 रुपये की मदद की, जो लालू के लिए बहुत बड़ी बात थी।
LLB का एग्जाम देने से लालू ने किया था इनकार
उसके बाद एलएलबी फाइनल परीक्षा की तिथि घोषित होती है। तब तक लालू यादव जेल में ही रहते हैं। लालू यादव को न्यायिक प्रशासन की ओर से पीएमसीएच के कैदी वार्ड में परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाती है। निरीक्षकों की ओर से लालू यादव को प्रश्न-पत्र और कॉपी दी जाती है। उसके बाद लालू यादव परीक्षा देने से इनकार कर देते हैं। लालू यादव की ओर से कहा जाता है कि प्रश्न पत्र अंग्रेजी में है। लालू यादव की ओर से शिक्षा के माध्यम को अंग्रेजी में किए जाने का विरोध किया जाने लगा। उसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से प्रश्न पत्र को हिंदी और अंग्रेजी में तैयार किया गया। लालू यादव की मांग यहां मान ली जाती है। उसके बाद प्रश्न पत्र को बदला जाता है। लालू यादव कहते हैं कि ये मेरी एक और जीत होती है। जिससे मैं काफी उत्साहित हो जाता हूं। कुल मिलाकर लालू यादव अपनी गरीबी के दौरान भी आंदोलन छोड़ते नहीं हैं। जेपी का साथ हमेशा देते रहते हैं। लालू यादव का पूरा परिवार आर्थिक अभाव का सामना करता है। लालू यादव उस दौरान हमेशा जेपी के साथ रहते हैं। हालांकि, जेपी आंदोलन से निकले लालू यादव इन दिनों भ्रष्टाचार के कई आरोपों से दो चार हो रहे हैं। उन पर चारा घोटाले और नौकरी के बदले जमीन मामले की जांच लगातार चल रही है।