Bihar Election 2025: बिहार चुनाव 2025 में राजद की करारी हार! क्या गलत हुआ और क्यों पार्टी 25 सीटों पर सिमट गई?
Bihar Election 2025: बिहार चुनाव 2025 में राजद सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई। टिकट कटने पर रोने वाले मदन प्रसाद की भविष्यवाणी सच हुई। जानें पूरी राजनीतिक पृष्ठभूमि और इस हार की बड़ी वजहें।
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने राज्य की राजनीति का पूरा संतुलन बदल दिया। राजद को इस बार ऐसी हार का सामना करना पड़ा, जिसकी उम्मीद उसके समर्थकों ने बिल्कुल नहीं की थी। तेजस्वी यादव, जिनके बारे में माना जा रहा था कि वे सत्ता के करीब पहुँच चुके हैं, अचानक परिणाम आने के बाद पूरी तरह हाशिये पर चले गए। पार्टी केवल पच्चीस सीटों पर सिमट गई और यह पराजय उसके इतिहास में सबसे कठिन क्षणों में गिनी जा रही है।
राजद की हार के कारण और पार्टी के अंदर बढ़ती दूरी
इस नतीजे ने कई सवाल पैदा कर दिए। पार्टी के भीतर टिकट चयन को लेकर असहमति काफी समय से चर्चा में थी। कई नेताओं ने खुले रूप से कहा कि उन्हें नजरअंदाज किया गया और उनकी बात नेतृत्व तक नहीं पहुँच पाई। इसके साथ युवा नेतृत्व और संगठनात्मक ढांचे के बीच बढ़ती दूरी भी साफ दिखाई दी। इसी कारण चुनाव के अंतिम समय में पार्टी का माहौल असंतुलित होता गया और इसका असर सीधे परिणामों पर पड़ा।
बिहार राजद मदन प्रसाद का बयान कैसे सच हुआ
चुनाव से पहले मदन प्रसाद नाम के वरिष्ठ नेता को टिकट नहीं मिला। टिकट कटने के बाद वे लालू यादव के आवास पर भावुक हो उठे और नाराजगी में कहा कि पार्टी पच्चीस सीटों तक सीमित रह जाएगी। उस समय उनका बयान अतिशयोक्ति माना गया, लेकिन अब जब परिणाम सामने हैं, तो उनका कथन राजनीतिक चर्चाओं का मुख्य हिस्सा बन चुका है। इस घटना ने यह भी दर्शाया कि पार्टी के भीतर असंतोष कितना गहरा था।
राजद मदन प्रसाद आरोप घमंड और दूरी
टिकट से वंचित होने के बाद उन्होंने तेजस्वी यादव पर यह आरोप लगाया कि वे नेताओं और कार्यकर्ताओं से दूरी बना चुके हैं। उनके अनुसार टिकट बांटने की प्रक्रिया में बाहरी दखल बढ़ गया था और कई योग्य कार्यकर्ताओं को किनारे कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वे पार्टी के साथ दशक भर से ज्यादा समय से जुड़े थे, लेकिन उन्हें अपनी ही पार्टी में सुना नहीं गया। चुनाव परिणामों ने इन आरोपों को और वजन दे दिया है।
राजद पराजय के राजनीतिक प्रभाव
इस हार ने सिर्फ सीटें कम नहीं कीं, बल्कि पार्टी की दिशा और नेतृत्व को लेकर गंभीर चर्चा शुरू कर दी है। जनता ने जिस बदलाव की उम्मीद की थी, वह राजद प्रस्तुत नहीं कर पाया। संगठनात्मक कमजोरी, गुटबाजी और रणनीतिक भ्रम ने मिलकर पूरी चुनावी तैयारी को कमजोर कर दिया। अब पार्टी के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह इन चुनौतियों से कैसे उभरे और भविष्य की राजनीति में अपनी स्थिति कैसे मजबूत करे।