Bihar Vidhansabha Chunav 2025: महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव की राह मुश्किलों से घिरी, कांग्रेस के बाद परिवार ने बढ़ा दी टेंशन, अब क्या होगा
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, तेजस्वी यादव को एक साथ परिवार, सहयोगी दल और विपक्ष से जुझना पड़ रहा है। लालू यादव के ‘चमन’ में सुलगती आग अगर बेकाबू हुई, तो 2025 का चुनाव आरजेडी के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। ....

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: महागठबंधन का सीएम फेस बनने की जुगत में लगे तेजस्वी यादव की राजनीतिक राह फिलहाल मुश्किलों और चुनौतियों से भरी हुई है। महागठबंधन की प्रमुख साझीदार कांग्रेस इस पर पूरी तरह सहमत नहीं है। वहीं परिवार के भीतर भी दरारें स्पष्ट रूप से दिख रही हैं। भाई तेज प्रताप यादव पहले ही बागी हो चुके हैं, और अब बहन रोहिणी आचार्य ने भी परिवार से नाता तोड़ लिया है।
रोहिणी और तेज प्रताप के अलगाव की वजह चाहे जो भी रही हो, दोनों ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ही अपनी नाराजगी सार्वजनिक की। तेज प्रताप ने भावुक पोस्ट के जरिए तेजस्वी के प्रति अपनी वफादारी जताई, लेकिन हालिया घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि परिवार में गुटबाजी का असर अब चुनावी राजनीति पर भी पड़ने लगा है। यहीं नहीं अब तो रोहिणी आचार्या ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए अपने सोशल मीडिया X को उन्होंने प्राइवेट तो किया ही, ‘फैमिली फ्रेंड’ को अनफालो तक कर दिया। तेजस्वी के लिए राजनीतिक रूप से इसे अच्छा किसी भी स्थिति में नहीं माना जा सकता है।
सिर्फ पारिवारिक विवाद ही नहीं, बल्कि महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और सीएम पद को लेकर भी खटपट बढ़ती जा रही है। कांग्रेस ने 2020 की तुलना में अब अधिक सीटों की मांग कर दी है और डेप्युटी सीएम पद की भी मांग कर रही है। तेजस्वी ने 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया, जबकि कांग्रेस इसे गठबंधन की एकता के लिए चुनौती मान रही है। इस विवाद ने गठबंधन की मजबूती पर सवाल खड़ा कर दिया है।
आरजेडी में उत्तराधिकार की जंग और परिवारिक कलह भी तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। मई 2025 में तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से निष्कासित किया गया था। तेज प्रताप के सार्वजनिक पोस्ट और आरजेडी से निष्कासन ने तेजस्वी की उत्तराधिकारी की दावेदारी को मजबूत किया था, लेकिन जून 2025 में तेज प्रताप ने तेजस्वी पर हमलावर रुख अख्तियार किया। इसके बाद रोहिणी आचार्य ने भी ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के दौरान वायरल फोटो और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की।
महागठबंधन की स्थिति पर यह तनातनी सीधे असर डाल रही है। एनडीए के नेता नीतीश कुमार और भाजपा इस फूट का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं। आरजेडी के सोलो अभियान और तेजस्वी की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ कांग्रेस के साथ गठबंधन की एकता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लालू यादव के जीवित रहते ही आरजेडी में उत्तराधिकार की जंग जारी थी। जनवरी 2025 में तेजस्वी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी, लेकिन पारिवारिक कलह ने इसे कमजोर कर दिया। तेज प्रताप का विद्रोह, रोहिणी की टिप्पणियां और पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी तेजस्वी के नेतृत्व के सामने बड़ी चुनौती हैं।
इसी बीच, बिहार के विधानसभा चुनाव 2025 की रणनीति और जनता की उम्मीदें भी तेजस्वी पर दबाव डाल रही हैं। विपक्ष लगातार ‘जंगल राज’ का नैरेटिव चला रहा है, जबकि गठबंधन में सीट बंटवारे, सीएम पद और डेप्युटी सीएम पद पर खटपट तेजस्वी के सामने राजनीतिक पहाड़ बन चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, तेजस्वी यादव को एक साथ परिवार, सहयोगी दल और विपक्ष से जुझना पड़ रहा है। लालू यादव के ‘चमन’ में सुलगती आग अगर बेकाबू हुई, तो 2025 का चुनाव आरजेडी के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। केवल तेजस्वी की परिपक्वता और रणनीति ही उन्हें इन संकटों से निकाल सकती है।