Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : सीट शेयरिंग से पहले चिराग पासवान को बड़ा झटका, पार्टी के बड़े नेता ने दिया इस्तीफा
Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चिराग पासवान को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के बड़े नेता ने इस्तीफा दे दिया है......पढ़िए आगे

PATNA : बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर चल रही खींचतान के बीच, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कुमार सौरभ सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब लोजपा (आर) एनडीए में सम्मानजनक सीटों की मांग कर रही है, जिससे पार्टी की अंदरूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
झारखंड चुनाव में रह चुके हैं प्रभारी
कुमार सौरभ सिंह पार्टी के एक महत्वपूर्ण चेहरा थे और उन्हें संगठनात्मक जिम्मेदारी का अच्छा अनुभव था। उन्हें झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान चतरा सीट पर पार्टी की ओर से प्रभारी बनाया गया था। पार्टी के रणनीतिक कार्यों में उनकी सक्रिय भूमिका रही थी। उनके अचानक इस्तीफे से पार्टी की संगठनात्मक तैयारी पर असर पड़ने की आशंका है, खासकर तब जब चुनाव की घोषणा हो चुकी है।
'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' विजन में निभाई थी भूमिका
इस्तीफा देने वाले कुमार सौरभ सिंह, चिराग पासवान के बहुचर्चित "बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट" विजन डॉक्यूमेंट को तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके थे। इस विजन को चिराग पासवान ने पिछले चुनावों में अपनी पार्टी की मुख्य विचारधारा के तौर पर पेश किया था। ऐसे में एक प्रमुख विचारक और प्रवक्ता का पार्टी छोड़ना, चिराग पासवान के कोर विजन पर भी सवाल खड़े कर सकता है।
राजपूत समाज से आते हैं कुमार सौरभ सिंह
मूल रूप से औरंगाबाद जिले के निवासी कुमार सौरभ सिंह राजपूत समाज से आते हैं। उनका जाना, आगामी चुनाव से पहले पार्टी के भीतर जातीय समीकरण और जनाधार के लिहाज से भी नुकसानदेह साबित हो सकता है। राजपूत समाज बिहार के कई क्षेत्रों में चुनावी परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
गठबंधन में खींचतान के बीच बढ़ा अंदरूनी दबाव
कुमार सौरभ सिंह का इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है, जब चिराग पासवान एनडीए में अपनी पार्टी के लिए 35 से 40 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजेपी उन्हें 25 सीटों की पेशकश कर रही है, जिस पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। सीट शेयरिंग पर बाहरी दबाव और समझौते की अनिश्चितता के बीच, पार्टी के भीतर से इस तरह के इस्तीफे का आना चिराग पासवान के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
देबांशु की रिपोर्ट