बिहार विधानसभा में ‘खरीद-फरोख़्त’ कांड का बड़ा धमाका, ईओयू की पूछताछ की आंच अब सत्ता पक्ष तक पहुँची, BJP विधायक भगीरथी देवी से 3 घंटे तक पूछताछ
बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने रामनगर से बीजेपी विधायक भागीरथी देवी से मंगलवार को करीब तीन घंटे तक पुख्ता पूछताछ की।....

Bihar MLA Horse Trading case: बिहार की सियासत एक बार फिर अपराध और साज़िश की गंध से भर चुकी है। विधानसभा के भीतर विश्वास प्रस्ताव के दौरान विधायकों की खरीद-फरोख़्त के सनसनीखेज मामले में अब जांच का शिकंजा कसता जा रहा है। बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने रामनगर से बीजेपी विधायक भागीरथी देवी से मंगलवार को करीब तीन घंटे तक पुख्ता पूछताछ की। खबर है कि पूछताछ के दौरान कई राज़दारियों की परतें खुलीं, जो सत्ता की दलाली और राजनीतिक सौदेबाज़ी का काला चेहरा उजागर कर सकती हैं।
ईओयू के सूत्र बताते हैं कि भागीरथी देवी से पूछताछ में ऐसे अहम सुराग मिले हैं, जिनसे जांच की दिशा और तेज़ हो गई है। अब बारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के विधायक दिलीप राय की है, जिनसे बुधवार को पूछताछ की तलवार लटक रही है। यह इशारा साफ है कि खेल केवल विपक्ष तक सीमित नहीं था, बल्कि सत्ता के गलियारों तक इसकी धूल उड़ चुकी है।
इससे पहले बीजेपी विधायक मिश्रीलाल यादव से चार घंटे लंबी जिरह हो चुकी है। वहीं पूर्व मंत्री बीमा भारती, विधायक डॉ. संजीव, राजद से जुड़े इंजीनियर सुनील, मोनू कुमार और कई बॉडीगार्ड व ड्राइवर भी इस राडार पर आ चुके हैं। पूछताछ की यह कड़ी सत्ता और विपक्ष दोनों के ‘गुप्त सौदों’ की परतें खोलने लगी है।
फरवरी 2024 में जब नीतीश सरकार ने विश्वास मत पेश किया था, तभी यह आरोप गूंजा था कि विधायक नोट और वोट के खेल में फँसाए जा रहे हैं। उस वक्त जिन चेहरों ने सत्ता की गाड़ी खींचने में ‘चुपचाप सौदा’ निभाया, वे अब ईओयू के दफ्तर में पसीना बहाते नज़र आ रहे हैं। भागीरथी देवी से पूछताछ के दौरान उनके बयान दर्ज हुए हैं, जिनमें कई इकरार और इन्कार की परछाइयाँ दिखीं।
जांच एजेंसी का दावा है कि अभी तो शुरुआत हुई है। आने वाले दिनों में और भी नेताओं, दलालों और ‘पॉवर ब्रोकरों’ से जवाब-तलब होगा। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह मामला महज़ सियासी प्रोपेगेंडा है या वाकई विधानसभा का लोकतंत्र अपराध के हाथों बिकाऊ बना दिया गया था?
बिहार की जनता अब सांस रोके देख रही है कि ईओयू की इस गहन जांच का अगला निशाना कौन होगा। क्या सत्ता की कुर्सी बचाने और गिराने का यह खेल नेताओं के चेहरे से नक़ाब उतार पाएगा, या फिर यह केस भी राजनीति की धूल में दब जाएगा?