Monsoon in Bihar: बिहार में मानसून की जल्दी दस्तक की उम्मीद, 27 मई को केरल में प्रवेश, 13-15 जून तक बिहार पहुंचने के आसार!
Monsoon in Bihar:बिहार के किसानों और आम लोगों के लिए राहत भरी खबर है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अनुमान जताया है कि इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से चार दिन पहले, यानी 27 मई 2025 को केरल में दस्तक दे सकता है।

Monsoon in Bihar:बिहार के किसानों और आम जनता के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पूर्वानुमान जारी किया है कि इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से चार दिन पहले, यानी 27 मई 2025 को केरल में दस्तक दे सकता है। यह 2009 के बाद पहला मौका होगा जब मानसून भारतीय मुख्य भूमि पर इतनी जल्दी पहुंचेगा। केरल में मानसून के जल्द आगमन की संभावना के साथ ही, बिहार में भी इसके 13 से 15 जून के बीच प्रवेश करने की उम्मीद है, जो पिछले साल की तुलना में पूरे पांच दिन पहले है।
बिहार में मानसून का सामान्य प्रवेश समय 13 से 15 जून के बीच माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी गति और वर्षा की मात्रा में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है:2024: मानसून 20 जून को पहुंचा, जो पांच दिन की देरी थी, और सामान्य से 20% कम (1272.5 मिमी के मुकाबले) बारिश हुई।2023: मानसून 12 जून को एक दिन पहले पहुंचा, लेकिन बारिश में 23% की कमी दर्ज की गई।2020-2022: मानसून ने 13 जून को प्रवेश किया, लेकिन 2021 के बाद सामान्य से अधिक वर्षा नहीं हुई।इस बार मानसून के समय से पहले आने की संभावना ने बिहार के किसानों के बीच अच्छी बारिश की उम्मीद जगा दी है। हालांकि, मौसम विभाग ने सतर्कता बरतते हुए यह भी कहा है कि मानसून की वास्तविक स्थिति और बारिश की मात्रा विभिन्न मौसमी कारकों पर निर्भर करेगी। यदि मौसमी चक्र (जैसे एल नीनो या ला नीना) अनुकूल रहे, तो सामान्य से अधिक बारिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
केरल में मानसून: 16 साल बाद सबसे जल्दी दस्तक!
आईएमडी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर 1 जून को केरल के रास्ते भारत में प्रवेश करता है। लेकिन इस वर्ष इसके 27 मई को पहुंचने की संभावना व्यक्त की गई है। पिछले कुछ वर्षों में केरल में मानसून का आगमन इस प्रकार रहा:
2024: 30 मई
2023: 8 जून
2022: 29 मई
2021: 3 जून
2020: 1 जून
2009: 23 मई (पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी)
आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि मानसून का जल्दी या देर से आना सीधे तौर पर कुल बारिश की मात्रा को निर्धारित नहीं करता है। यह वैश्विक (एल नीनो/ला नीना), क्षेत्रीय (हिंद महासागर की स्थिति) और स्थानीय मौसमी परिस्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है।
बिहार के लिए इस बदलाव का महत्व!
बिहार में मानसून का समय से पहले आना राज्य के किसानों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हो सकता है, क्योंकि बिहार की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कृषि पर आधारित है। राज्य में सामान्य औसत वर्षा 1272.5 मिमी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हुई कमी के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ है। इस बार जल्दी मानसून और अनुकूल मौसमी चक्रों की उम्मीद से धान, मक्का और अन्य खरीफ फसलों की बुवाई समय पर और बेहतर तरीके से हो सकेगी।हालांकि, मौसम विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि बिहार में मानसून की प्रगति और बारिश की वास्तविक मात्रा इसके प्रवेश के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। 15 मई को जारी होने वाली आईएमडी की आधिकारिक मानसून पूर्वानुमान रिपोर्ट से इस दिशा में और अधिक सटीक जानकारी मिलने की संभावना है।
देश में मानसून की प्रगति का सामान्य चक्र!
दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर 8 जुलाई तक पूरे भारत को कवर कर लेता है। इसके बाद, यह 17 सितंबर से उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस लौट जाता है। बिहार में मानसून का सक्रिय समय जून के मध्य से सितंबर तक रहता है, जो कृषि गतिविधियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवधि होती है।
चुनौतियां
पिछले कुछ वर्षों में बिहार में मानसून की अनियमितता और कम बारिश के कारण बाढ़ और सूखे जैसी गंभीर समस्याएं सामने आई हैं। इस वर्ष समय से पहले मानसून की संभावना के बावजूद, मौसम विभाग ने सरकार और किसानों दोनों को सतर्क रहने की सलाह दी है। बाढ़ प्रबंधन की तैयारियों, सिंचाई सुविधाओं को दुरुस्त करने और गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर पहले से ही ध्यान देना आवश्यक है।कुल मिलाकर, 2025 में मानसून के समय से पहले आने की संभावना ने बिहार में उम्मीद की एक नई किरण जगाई है। 27 मई को केरल में संभावित दस्तक और 13-15 जून तक बिहार में प्रवेश की भविष्यवाणी किसानों और आम लोगों को बेहतर बारिश की उम्मीद दे रही है।