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जन्मदिन विशेष : "हम काम में यकीन रखते हैं, प्रचार में नहीं"....और विकसित बिहार की परिभाषा बन गए ‘नीतीश कुमार’ : मुरली मनोहर श्रीवास्तव

जन्मदिन विशेष : "हम काम में यकीन रखते हैं, प्रचार में नहीं"....और विकसित बिहार की परिभाषा बन गए ‘नीतीश कुमार’ : मुरली मनोहर श्रीवास्तव

PATNA : बिहारी कहलाना अपमान नहीं बल्कि गर्व का विषय है। हमने जो किया वह सब आपके सामने है। लोगों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। हम काम में यकीन रखते हैं, प्रचार में नहीं। इन एक-एक शब्दों से बिहार का जर्रा-जर्रा परिचित है। बिहार के विकास में इतने रम गए कि बिहार के वजूद का पुनर्स्थापन कर इतिहास रच दिया। हर क्षेत्र, समाज के हर तबके का विकास करने में खुद को इतना रमा दिया कि बिहार के विकास पुरुष के रुप में शुमार हो गए, वो कोई और नहीं बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। बात बिहार के विकास की चलेगी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चर्चा होना लाजिमी है। अपनी कार्यशैली को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों के बीच सम्मान के दृष्टि से नीतीश कुमार देखे जाते हैं।

पटना के गांधी मैदान में 24 नवंबर,2005 को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और यहीं से बिहार के विकास की कहानी शुरु हुई। नई सरकार ने आते ही संकटग्रस्त विरासत को बदलने का प्रयास शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री का पद संभालते ही नीतीश कुमार ने कहा था- हम एक छोटी लकीर के समानांतर बड़ी लकीर खींचेंगे। उन्होंने बिहार का नेतृत्त्व उस समय संभाला, जिस समय बिहार को पूरी दुनिया ने खारिज कर दिया था। दुनिया की बड़ी हस्तियों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने तो यहां तक कह दिया था कि बिहार को लेकर कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह भलीभांति पता था कि बिहार की मिट्टी केवल बालू नहीं एवं बिहार की पैदावार केवल आलू नहीं है, यहां की मिट्टी उपजाऊ है। पैदावार की कई किस्में हैं और यहां के मेहनती और मेधावी लोगों में एक विकसित और खुशहाल बिहार बनाने की सारी क्षमताएं मौजूद हैं। नीतीश कुमार का दृष्टि स्पष्ट थी, उन्हें पता था कि बिना सुशासन के विकास की परिकल्पना बेमानी है। सुशासन ऐसा विषय है जो हमारी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक आदि समग्र जीवनशैली पर लागू होता है। हम पेयजल, पर्याप्त पोषक आहार, बिजली, कपड़े, स्वास्थ्य तथा शिक्षा की सुविधाएं, पक्षपातविहीन कानून और व्यवस्था तंत्र, समय पर न्याय आदि जैसी जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को सुनिश्चित किए बिना सुशासन की कल्पना नहीं  किया जा सकता है। 

देश-विदेश में रहने वाले बिहारियों द्वारा बदले माहौल में बिहार की छवि निखारने के लिए जनवरी,2007 में ग्लोबल मीट फॉर रिसर्जेंट बिहार का पटना में आयोजन किया गया। इस आयोजन में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, थाईलैंड सहित कई देशों के उद्योग, व्यवसाय, स्वास्थ्य, सूचना तकनीक से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए, जिससे विकास की उम्मीद जगी। विकास को राजनीति की मुख्यधारा में ले आने वाले नीतीश कुमार महिलाओं के प्रति भी काफी संवेदनशील रहे, उन्हें पता था कि एक महिला अगर शिक्षित होगी तो एक परिवार शिक्षित होगा। इसी पैटर्न पर उन्होंने हर क्षेत्र में कदम बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने महिलाओं को पढ़ाई, रोजगार, नौकरी और राजनीति के क्षेत्र में बड़े फलक पर सहयोग किया,नतीजा बिहार की बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए पोशाक,साईकिल के साथ-साथ आर्थिक सहयोग, सिविल सेवा की तैयारी के लिए भी आर्थिक मदद देकर उनकी प्रतिभा को निखारने तथा जीविका के माध्यम से उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में लगे हुए हैं। बिहार में शराबबंदी लागू कर देश को नई दिशा देने के साथ ही बिहार के लगभग सभी जिलों में मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज, अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर जी0एन0एम0, ए0एन0एम0 संस्थाओं की स्थापना कर बिहार की नई पीढ़ी को प्रगति की राह दिखा दी है। दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरुक करने का ही नतीजा रहा कि इसमें भारी कमी आयी। जिस बिहार में कभी बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य की स्थिति बदत्तर थी, उस बिहार में हुए आमूलचुल परिवर्तन का उदाहरण दिया जाने लगा है। नरसंहार, अपहरण, रंगदारी, हत्या का पर्याय बना बिहार अब शांति का प्रतीक बन गया, विकास इसकी पहचान बन गई। कौन क्या कहता है, इसकी परवाह नहीं कर सिर्फ आगे बढ़ते रहने के लिए दिनरात बिना किसी भेदभाव के काम करने वाले बिहार के विकास के प्रति समर्पित नीतीश कुमार आज की तारीख में विकसित बिहार की परिभाषा बन चुके हैं।

मुरली मनोहर श्रीवास्तव की कलम से  

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