Flash Back : कभी मोदी के साथ ‘विक्ट्री साइन’ फोटो पर भड़क गए नीतीश, बीजेपी का छोड़ा साथ, 16 साल बाद खुद खिंचाई तस्वीर और साथ बनायीं सरकार

Flash Back :  कभी मोदी के साथ ‘विक्ट्री साइन’ फोटो पर भड़क गए

PATNA : कहते हैं की इतिहास खुद को दुहराता है। खासकर सियासत में तो इतिहास को जमीन खोद खोदकर निकाला जाता है। ऐसा नजारा आज नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में देखने को मिला। जहाँ एक तस्वीर ने सियासत को करीब से देखने वाले लोगों के जेहन में बसी यादों को अचानक कुरेदना शुरू कर दिया। यह तस्वीर थी शपथ ग्रहण के बाद सीएम नीतीश के पीएम मोदी के साथ हाथ ऊपर कर मिलाने की। यह वास्तव में एनडीए के लिए जश्न मनाने का क्षण था। इस क्षण में ऐसी तस्वीरें सामने आना कोई आश्चर्य नहीं है। लेकिन थोड़ा फ्लैशबैक में चलते हैं, जब इसी तरह की हुबहू एक तस्वीर ने  बिहार ही नहीं केंद्र की सियासत में भी भूचाल ला दिया था।   

2009 लुधियाना में एकजुटता का प्रदर्शन

11 मई, 2009 को लुधियाना में हुई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की एक चुनावी रैली ने 2010 में बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया था, जिसके चलते जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के गठबंधन में दरार पड़ गई थी। यह रैली उस समय हुई थी जब मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल के लिए लोकसभा चुनाव का अंतिम चरण होने वाला था।  2009 के लोकसभा चुनाव से पहले, लुधियाना की इस रैली में NDA के तमाम बड़े नेता और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, जिनमें तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे, पहुंचे थे। रैली के दौरान नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हाथ थामकर हवा में उठाया और 'विक्ट्री साइन' बनाया। इस सार्वजनिक प्रदर्शन से संदेश गया कि NDA गठबंधन 2009 के चुनाव को लेकर पूरी तरह एकजुट है।

2010 में 5 करोड़ के विज्ञापन पर हंगामा

इसके अगले साल, 2010 में बिहार विधानसभा के चुनाव होने थे। इस चुनाव से ठीक पहले, 12 जून 2010 को बिहार में भारतीय जनता पार्टी ने एक विज्ञापन प्रकाशित किया। इस विज्ञापन में वही चर्चित तस्वीर थी जिसमें नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार लुधियाना रैली में एक-दूसरे का हाथ थामे हुए थे। विज्ञापन में यह भी लिखा था कि गुजरात सरकार ने बिहार सरकार को बाढ़ पीड़ितों के लिए 5 करोड़ रुपये की मदद पहुंचाई है। इस विज्ञापन पर नीतीश कुमार ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने इस बात को अपनी सरकार की छवि और गठबंधन की मर्यादा के खिलाफ मानते हुए गुजरात सरकार से मिली 5 करोड़ रुपये की मदद को तत्काल लौटा दिया। 

डिनर कैंसिल और हाथ थामने पर विवाद

ठीक अगले दिन 13 जून को बिहार में नरेंद्र मोदी की रैली प्रस्तावित थी। 12 जून की रात में नीतीश कुमार की ओर से नरेंद्र मोदी के लिए डिनर का आयोजन किया गया था, जिसके आमंत्रण पहले ही भेजे जा चुके थे। लेकिन विज्ञापन पर उपजे विवाद के कारण, ऐन मौके पर नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी का यह डिनर कैंसिल कर दिया। 

नीतीश कुमार का बयान

तस्वीर को लेकर नीतीश कुमार ने बयान दिया था कि वह अपना हाथ नहीं उठाना चाहते थे, लेकिन नरेंद्र मोदी ने 'जबरदस्ती उनका हाथ पकड़ कर हवा में उठा दिया था'। 

बाढ़ राहत सामग्री की वापसी:

गौरतलब है कि उस समय बिहार भीषण बाढ़ की तबाही से जूझ रहा था। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ पीड़ितों के लिए 5 करोड़ का चेक और कई क्विंटल अनाज राहत सामग्री के रूप में भेजे थे। गुस्से में नीतीश कुमार ने न सिर्फ 5 करोड़ की राशि वापस कर दी थी, बल्कि गुजरात से आई राहत सामग्री को भी लौटा दिया था। इन घटनाक्रमों के बाद, नीतीश कुमार ने बीजेपी से संबंध तोड़कर गठबंधन से इस्तीफा दे दिया था, जिसने बिहार की राजनीति को एक नया मोड़ दिया। इस विवाद ने 2010 के विधानसभा चुनाव से पहले NDA की अंदरूनी राजनीति को सबके सामने ला दिया था।

अब फिर सामने आई तस्वीर

20 नवम्बर 2025 को फिर एक बार ऐसी ही तस्वीर सामने आई है। पटना के गाँधी मैदान में नीतीश कुमार ने दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। इस मौके पर केंद्र के कई मंत्रियों ने एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पीएम मोदी भी मंच पर मौजूद थे। उन्होंने एक बार फिर नीतीश कुमार का हाथ पकड़ा और विक्ट्री साइन दिखा दिया। तस्वीरे एक समान हैं, लेकिन उनके मायने अब बदल चुके हैं।