Bihar Student Credit Card: अब पढ़ाई में नहीं आएगी पैसे की रुकावट, बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से 4 लाख तक लोन, वो भी ज़ीरो इंटरेस्ट पर, जान ले पूरा गुणा गणित
“बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना” को और मज़बूत करते हुए नीतीश सरकार ने बड़ा ऐलान किया है कि 4 लाख रुपये तक का लोन अब ब्याजमुक्त मिलेगा और उसे चुकाने के लिए छात्रों को 10 साल तक का वक्त दिया जाएगा।...

Bihar Student Credit Card: बिहार की सियासत में शिक्षा हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रही है। गरीब-गुरबा परिवार का बच्चा जब 12वीं पास कर लेता है, तो उसके सामने सबसे बड़ा सवाल होता है कि आगे पढ़ाई कैसे होगी? फ़ीस कहां से आएगी? खर्चा कौन उठाएगा?” इसी असमंजस और मायूसी के बीच नीतीश सरकार ने साल 2016 में गांधी जयंती के मौक़े पर “बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना” शुरू की। अब इस योजना को और मज़बूत करते हुए सरकार ने बड़ा ऐलान किया है – 4 लाख रुपये तक का लोन अब ब्याजमुक्त मिलेगा और उसे चुकाने के लिए छात्रों को 10 साल तक का वक्त दिया जाएगा।
इस स्कीम का असल उद्देश्य है कि “पैसों की कमी किसी भी बच्चे के सपनों का गला न घोंटे।” बिहार के वो बच्चे, जो MBA, MCA, B.Tech, MBBS जैसी ऊँची डिग्रियाँ हासिल करना चाहते हैं लेकिन घर की माली हालत उन्हें रोकती है, उनके लिए यह योजना किसी नवाबत से कम नहीं।
कौन ले सकता है फ़ायदा?
आवेदक बिहार का नागरिक होना चाहिए।
बिहार में मान्यता प्राप्त स्कूल/कॉलेज से 12वीं पास होना ज़रूरी।
उम्र 25 साल से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।
जिस कोर्स में दाख़िला ले रहे हैं, वह मान्यता प्राप्त संस्थान से होना चाहिए।
परिवार की सालाना आमदनी 6 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
यानि अगर आप इन शर्तों को पूरा करते हैं तो आपको 4 लाख रुपये तक का लोन मिलेगा, जिसमें कोई ब्याज नहीं देना होगा।
यह पैसा सिर्फ़ फ़ीस भरने तक सीमित नहीं है। इसके ज़रिए आप –
कोर्स की फ़ीस अदा कर सकते हैं,
लैपटॉप/कंप्यूटर खरीद सकते हैं,
पढ़ाई के लिए ज़रूरी किताबें और स्टेशनरी ले सकते हैं,
बाहर पढ़ाई करने गए तो कमरे का किराया भी भर सकते हैं।
यानि सरकार ने इस योजना के तहत छात्रों को पढ़ाई का पूरा साज़ो-सामान जुटाने का हक़ दे दिया है।
राजनीति की नज़र से देखें तो यह योजना सिर्फ़ एक वित्तीय मदद नहीं है, बल्कि युवाओं के दिलों को छूने वाली पहल है। नीतीश कुमार ने साफ़ कर दिया है कि शिक्षा और रोज़गार को लेकर उनकी सरकार गंभीर है। विपक्ष ज़रूर सवाल उठाएगा कि “युवाओं को रोजगार कब मिलेगा, सिर्फ़ कर्ज़ और वादों से पेट नहीं भरता”, लेकिन हक़ीक़त यह भी है कि इस स्कीम ने लाखों छात्रों को हौसला दिया है।
बिहार में असंख्य बच्चे ऐसे हैं जिन्हें माली हालत के कारण पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ती थी। यह योजना उन्हें एक नई उम्मीद देती है। ब्याजमुक्त लोन और 10 साल की अवधि से छात्र न सिर्फ़ आसानी से पढ़ाई पूरी कर सकेंगे बल्कि नौकरी मिलने के बाद आराम से क़िस्त चुका भी सकेंगे।
बिहार में चुनावी मौसम हमेशा शिक्षा, रोज़गार और विकास जैसे मुद्दों पर घूमता है। ऐसे में नीतीश सरकार का यह कदम सिर्फ़ प्रशासनिक फ़ैसला नहीं बल्कि एक सियासी दांव भी है। विपक्ष चाहे इसे चुनावी स्टंट कहे, लेकिन हक़ीक़त यह है कि इस योजना से बिहार का हर वह घर प्रभावित है जहां कोई बच्चा आगे बढ़ना चाहता है।
साफ़ है शिक्षा की इस सौग़ात के ज़रिए नीतीश कुमार ने यह संदेश दे दिया है कि “बिहार का हर बच्चा पढ़ेगा और तरक़्क़ी करेगा, चाहे जेब में पैसे हों या न हों।”