Bihar Land News: चकबंदी वाले गांवों में अब 'कागज' नहीं, 'कब्जा' देगा मुआवजे का हक, बिहार सरकार का बड़ा फैसला, जान लीजिए नया नियम

Bihar Land News: बिहार के चकबंदी वाले गांवों में अब भूमि अधिग्रहण के मुआवज़े का निर्धारण केवल खतियान या जमाबंदी रिकॉर्ड के आधार पर नहीं होगा, बल्कि जमीन पर वास्तविक कब्जा रखने वाले व्यक्ति को ही मुआवज़े का पात्र माना जाएगा।...

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चकबंदी वाले गांवों में अब 'कागज' नहीं, 'कब्जा' देगा मुआवजे का हक- फोटो : social Media

Bihar Land News: बिहार के चकबंदी वाले गांवों में अब भूमि अधिग्रहण के मुआवज़े का निर्धारण केवल खतियान या जमाबंदी रिकॉर्ड के आधार पर नहीं होगा, बल्कि जमीन पर वास्तविक कब्जा रखने वाले व्यक्ति को ही मुआवज़े का पात्र माना जाएगा। इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक अहम आदेश जारी कर राज्य के विकास कार्यों में आ रही रुकावटों को दूर करने का रास्ता साफ कर दिया है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिलों के समाहर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिया है कि चकबंदी वाले गांवों में अगर खतियान, जमाबंदी और कब्जे में अंतर है, तो कब्जाधारी रैयत को ही हितबद्ध रैयत मानते हुए मुआवज़ा दिया जाए, बशर्ते वह अतिक्रमणकर्ता न हो और उसका दावा पूर्ववर्ती खतियान या लेन-देन अभिलेखों से प्रमाणित हो।

बिहार चकबंदी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत राज्य के 5,657 गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिनमें से 2,158 गांवों में प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। बावजूद इसके, जमीन की वास्तविक स्थिति कई जगहों पर पुराने खतियान (सीएस/आरएस) के अनुसार ही बनी हुई है, जबकि चकबंदी खतियान एवं पंजी-2 की जमाबंदी अपडेट हो चुकी है। इसी विरोधाभास के कारण भू-अर्जन प्रक्रिया में अड़चनें सामने आ रही थीं।

इस समस्या को हल करते हुए विभाग ने तय किया है कि भू-अर्जन के तहत जिन खेसरा या खेसरा अंशों का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनके वास्तविक कब्जाधारी को ही मुआवजा भुगतान किया जाएगा। इसके लिए जिला भू-अर्जन पदाधिकारियों को यह भी निर्देशित किया गया है कि वे आत्मभारित आदेश पारित करें और उसमें भुगतान के आधारों की स्पष्ट व्याख्या करें।

हालांकि इस व्यवस्था के लिए अभी विधिक संशोधन प्रक्रिया जारी है, लेकिन विकास परियोजनाओं की रफ्तार को रोकने से बचाने के लिए यह अंतरिम समाधान तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इस निर्णय से उम्मीद है कि राज्य में भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद कम होंगे और सड़क, पुल, औद्योगिक कॉरिडोर जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण में तेजी आ सकेगी।