Patna highcourt - पति नहीं कर रहा पत्नी के भरण पोषण का ख्याल तो इतने समय तक ही कानून करेगी मदद, पटना हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

Patna highcourt - पटना हाईकोर्ट ने गुजर बसर के मामले पर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने बताया कि एक खास अवधि के बाद इसके लिए दावा नहीं किया जा सकता है।

Patna highcourt - पति नहीं कर रहा पत्नी के भरण पोषण का ख्याल

Patna - पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दंड प्रक्रिया संहिता के धारा 125 के तहत भरण पोषण आदेश का पालन पति की ओर से नहीं किये जाने पर एक साल के भीतर अमल में लाने के लिए याचिका दायर करना होगा।एक साल के बाद भरण पोषण आदेश को अमल में लाने के लिए कोर्ट कोई आदेश नहीं दे सकता।  जस्टिस विवेक चौधरी की एकलपीठ ने मीरा देवी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद याचिका को रद्द कर दिया।

कोर्ट को बताया गया कि विपक्षी पार्टी संख्या एक आवेदिका के कानूनी रूप से विवाहित पति है। लेकिन आवेदिका को भरण-पोषण देने से इनकार और उसकी उपेक्षा किये जाने पर पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक आवेदन दायर किया।  

इसका निपटारा 23 अगस्त, 2006 को आवेदिका के पक्ष में किया गया और पति को 750/- रुपये प्रति माह की दर से भरण-पोषण भत्ता देने का आदेश दिया गया। आदेश के बाद पति  ने पत्नी   को कोई भुगतान नहीं किया।  

पत्नी ने वर्ष 2016 में पारिवारिक न्यायालय अधिनियम की धारा 19(4) के तहत एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया गया है कि पति भरण-पोषण का पैसा नहीं दे रहे हैं।उसने अगस्त 2006 से पैसा देने का गुहार कोर्ट से लगाई।

भागलपुर फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने 21 जुलाई ,2017 को पारित अपने आदेश में कहा कि आवेदिका का भरण-पोषण उसके पुत्र द्वारा किया जा रहा है,जो एक स्वस्थ युवक है, काम करने और कमाने में सक्षम है। इसलिए आवेदन पर कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। इस आदेश की वैधता को हाई कोर्ट में वर्ष 2023 में पुनरीक्षण अर्जी दायर कर चुनौती दी गई। 

दायर याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह याचिका समय सीमा द्वारा पूरी तरह से वर्जित है। 21 जुलाई 2017 के आदेश को लगभग 8 वर्ष के बाद चुनौती दी गई है।

 दूसरा, सीआरपीसी की धारा 125 की उप-धारा 3 के प्रावधान के तहत भरण पोषण आदेश को अमल में लाने के लिए एक वर्ष के भीतर याचिका दायर किये जाने का प्रावधान है।लेकिन हर स्तर पर काफी विलम्ब से   याचिका दायर की गई।कोर्ट ने दायर याचिका को रद्द कर  दिया।