Bihar News : पटना हाईकोर्ट ने साइबर अपराधों के अनुसंधान में खानापूर्ति सहित इन मामलों पर की सुनवाई, राज्य सरकार और बिहार पुलिस से किया जवाब तलब

Bihar News : पटना हाईकोर्ट ने साइबर अपराधों के अनुसंधान में

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने बिहार में साइबर अपराधों के अनुसंधान में खानापूर्ति हेतु, पुलिस द्वारा अभियुक्तों के बैंक एकाउंट पर होल्ड लगाने के बजाए मोबाइल के जरिए पैसे भुगतान करने वाली पे एप कंपनियों के एकाउंट पर ही होल्ड लगाने के मामले पर सुनवाई की। जस्टिस अरुण कुमार झा ने बंगलौर स्थित एक पे ऐप कंपनी की अपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में राज्य सरकार एवं पुलिस विभाग से जवाब तलब किया है।

ये मामला पूर्णिया के साइबर थाने में दर्ज एक अपराधिक मामला से जुड़ा है,जिसमें पटना के निवासी डॉ मनोज कुमार के बैंक खाते से 29 लाख रुपए से अधिक की निकासी साइबर फ़्रॉड के जरिए की गई थी। इस मामले में पुलिस ने अनुसंधान के क्रम में मनोज के मोबाइल पर संबंधित पे एप कंपनी के निजी बैंक खाते पर ही होल्ड लगा दिया था । बाद में उसी ऐप कंपनी के निजी बैंक खाते से 11 लाख रुपए की निकासी करवा कर पुलिस ने पीड़ित व्यक्ति के खाते में भुगतान करवाया। 

कंपनी के वकील निखिल अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि  बैंक खातों से आसानी से लेनी और देनी की प्रक्रिया को चंद सेकेंड में पूरा करने हेतु पे एप एक मध्यवर्ती प्लेटफॉर्म जैसे होते हैं। अपने ग्राहकों के बैंक खातों में बिना रुकावट के  निकासी और भुगतान हेतु  ये कम्पनियां , आर बी आई के निर्देशानुसार  करोड़ो रूपये का एक रिजर्व खाता अपने निजी बैंक में रखते है। अधिवक्ता निखिल ने  कोर्ट को  बताया कि पूर्णिया थाने में दर्ज साइबर अपराध मामले में पीड़ित व्यक्ति का मॉर्फ वीडियो में अश्लील चित्र दिखाते हुए उससे जबरन लाखों रुपए की उगाही की गई थी । 

राज्य पुलिस असली गुनहगारो पर दबिश बनाने हेतु उनके बैंक खातों को सील करने की बजाए मध्यवर्ती पे एप कंपनी के बैंक खाते पर ही होल्ड लगा देते हैं। जो अनुसंधान के नाम पर खानापूर्ति है। इन पे एप कंपनी को अपने ग्राहकों के बैंक खाते से रुपए के डिजिटल निकासी वो जमा करने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत संरक्षण प्राप्त है।फिर भी पुलिस साइबर अपराधियों को पकड़ने की बजाए इन कंपनियों को निशाना बनाती है। हाई कोर्ट ने इस मामले की  गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय के सक्षम पदाधिकारी और नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को पक्षकार बनाने का भी निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी, 2026 को होगी।