Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल के विधायक रीतलाल यादव के लिए कानूनी मुश्किलें तब और बढ़ गई हैं जब पटना उच्च न्यायालय ने दानापुर की पूर्व भाजपा विधायक आशा देवी के पति सत्यनारायण सिन्हा की 2003 में हुई हत्या के मामले में उन्हें और तीन अन्य को नोटिस जारी किया। मामला 30 अप्रैल 2003 का है, जब सिन्हा की पटना के खगौल में जमालुद्दीन चक के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह घटना उसी दिन हुई जब राजद द्वारा पटना के गांधी मैदान में "तेल पिलावन, लाठी घुमावन" रैली आयोजित की गई थी।
2024-2025 में निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में रीतलाल यादव और तीन सह-अभियुक्तों को बरी कर दिया। हालाँकि, बिहार राज्य सरकार और आशा देवी दोनों ने इस फैसले को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए अलग-अलग आपराधिक अपील दायर की। राज्य सरकार की अपील सरकारी वकील अजय मिश्रा द्वारा प्रस्तुत की गई थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि प्रक्रियात्मक या साक्ष्य संबंधी खामियों ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को प्रभावित किया होगा।
22-23 फरवरी 2025 को जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और शैलेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने इन अपीलों पर सुनवाई करते हुए रीतलाल यादव और अन्य को नए नोटिस जारी किए। पीठ ने अगली सुनवाई 24 मार्च 2025 के लिए निर्धारित की। यह घटनाक्रम दो दशकों से अधिक समय से लंबित राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले को फिर से खोलने में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
रीतलाल यादव2020 से दानापुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले राजद नेता, यादव ने एक हाई-प्रोफाइल चुनावी लड़ाई में आशा देवी (तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार) को हराया। उन्होंने पहले विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य के रूप में कार्य किया और अपने करियर में कई आपराधिक आरोपों का सामना किया।
पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए दानापुर विधायक रीतलाल यादव समेत अन्य के खिलाफ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस आशा देवी के पति, स्व. सत्यनारायण सिन्हा की हत्या के मामले में जारी किया गया है।
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद एवं न्यायाधीश शैलेंद्र सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई के दौरान यह नोटिस जारी किया। इस मामले में एक अपील पूर्व विधायक आशा देवी द्वारा भी दायर की गई है।
इस हत्याकांड में निचली अदालत ने साक्ष्य के अभाव में चारों आरोपियों को बरी कर दिया था। अब राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में आपराधिक अपील दायर की है, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने रीतलाल यादव समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ नोटिस जारी किया है।
उधर, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता संशोधन बिल, 2025 में सुधार संबंधी निर्णय का समर्थन किया है। बीसीआई के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि बीसीआई इस मुद्दे पर केंद्रीय कानून मंत्री के लगातार संपर्क में है। उन्होंने पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं से न्यायिक कार्यों से अलग न होने की अपील की है।
बिहार स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन रमाकांत शर्मा ने भी कहा कि कानून लागू करने से पहले सभी संबंधित मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाना जरूरी है। उन्होंने पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता संघों की समन्वय समिति से 25 फरवरी, 2025 को न्यायिक कार्यों से अलग रहने के निर्णय को वापस लेने की अपील की है।
बता दें कि शुक्रवार को पटना हाई कोर्ट अधिवक्ता समन्वय समिति ने एक संकल्प जारी कर अधिवक्ता संशोधन बिल को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया था और 25 फरवरी को न्यायिक कार्यों से अलग रहने का निर्णय लिया था।
इधर, भारत सरकार के मुख्य लेखा नियंत्रक ध्रुव कुमार सिंह ने बीसीआई चेयरमैन को पत्र लिखकर सूचित किया है कि अधिवक्ता संशोधन बिल की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इसे वेबसाइट पर सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा गया था। हालांकि, अत्यधिक सुझावों के कारण परामर्श प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। अब, अब तक प्राप्त प्रतिक्रियाओं को देखते हुए सरकार परामर्श प्रक्रिया फिर से शुरू करने पर विचार कर रही है।