Patna Police: पटना के राजीव नगर थाना में 3 साल पुराने पुलिस कार्यवाही को लेकर विवाद, जांच में सामने आई अनियमितता, 10 लोग सस्पेंड, विभागीय कार्रवाई का आदेश

पटना के राजीव नगर थाना कांड संख्या 613/22 में पुलिस द्वारा की गई अवैध कार्यवाही के बाद जांच में अनियमितता सामने आई।

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bihar police- फोटो : social media

 Patna Police: बिहार के पटना स्थित राजीव नगर थाना क्षेत्र में एक पुलिस कार्यवाही ने तब सनसनी मचा दी जब एक स्थानीय दुकानदार विनोद कुमार सिंह ने पुलिस महानिदेशक से शिकायत कर जांच की मांग की। मामला थाना कांड संख्या 613/22, दिनांक 13 नवंबर 2022 से जुड़ा है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 414 के अंतर्गत दर्ज किया गया था। आवेदक की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच जब पुलिस मुख्यालय स्तर पर की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

दरअसल, शुरुआत में थाना पुलिस ने संदेह के आधार पर एक मोटरसाइकिल और दो मोबाइल फोन जब्त किए और तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई किसी स्पष्ट साक्ष्य के बिना की गई थी। गिरफ्तार किए गए लोगों की निशानदेही पर पुलिस ने आवेदक की दुकान पर छापा मारा, जहां से उसके पुत्र को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के गिरफ्तार कर लिया गया। साथ ही, दुकान से बड़ी संख्या में मोबाइल फोन भी ले लिए गए, जिनकी विधिवत जब्ती सूची नहीं बनाई गई थी।

पुलिस ने अवैध रूप से रखे फोन

इस छापामारी के बाद 5 कीमती मोबाइल फोन अवैध रूप से पुलिस के पास रख लिए गए और सिर्फ तीन मोबाइल की जब्ती सूची बनाई गई। बाकी के मोबाइल बिना किसी दस्तावेजी प्रक्रिया के आवेदक को वापस कर दिए गए। जब इन तीन मोबाइल फोनों की जांच की गई तो यह प्रमाणित हुआ कि वे चोरी के नहीं थे, फिर भी आवेदक के पुत्र और अन्य लोगों के खिलाफ बिना किसी प्रमाण के आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया।

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पुलिस की पूरी कार्यवाही में कानून का उल्लंघन

जांच में स्पष्ट हुआ कि पुलिस की पूरी कार्यवाही न केवल अनैतिक थी बल्कि कानून का भी उल्लंघन था। इसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस मुख्यालय ने कार्यवाही में शामिल अधिकारियों व कर्मचारियों पर कठोर कदम उठाए। तत्कालीन अंचल निरीक्षक गौतम कुमार, तत्कालीन थाना अध्यक्ष नीरज कुमार, अनुसंधानकर्ता शंभु शंकर सिंह, श्याम नारायण सिंह सहित  अनिल कुमार, ब्रज किशोर प्रसाद, हरिशचन्द्र सिंह, प्रभाश कुमार पासवान,  ओमप्रकाश और चालक बालकिशोर यादव को निलंबित कर उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

इस मामले ने बिहार पुलिस के भीतर कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर पुलिस को नागरिकों की सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए नियुक्त किया गया है, वहीं दूसरी ओर ऐसे मामलों से जनता का भरोसा डगमगाने लगता है।

आवेदन के परिणामस्वरूप सच्चाई सामने आई

आवेदक विनोद कुमार सिंह की दृढ़ता और उच्च अधिकारियों को दिए गए आवेदन के परिणामस्वरूप सच्चाई सामने आई और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हुई। यह घटना एक उदाहरण है कि अगर नागरिक समय पर न्याय की मांग करें और उच्च अधिकारियों तक बात पहुंचाएं तो भ्रष्ट तंत्र को भी झुकाया जा सकता है।

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