कन्हैया प्रसाद की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। इससे अवैध बालू खनन मामले में मुख्य आरोपी कन्हैया प्रसाद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनकी फिर से गिरफ्तारी हो सकती है। पटना उच्च न्यायालय से मिली जमानत को खारिज करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने 16 पेज का विस्तृत आदेश जारी किया है और जमानत याचिका सिरे से खारिज कर दिया है।
कन्हैया प्रसाद जेडीयू एमएलसी राधाचरण सेठ के बेटे हैं और अवैध बालू खनन की प्रमुख कंपनी ब्रॉडसन्स कमोडिटी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक भी हैं। अवैध खनन में नामजद दूसरी कंपनी आदित्य मल्टीकॉम में भी उनकी हिस्सेदारी है। ईडी ने कन्हैया को 18 सितंबर 2023 को गिरफ्तार किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) का उद्देश्य मनी लांड्रिंग रोकना है, जो देश की वित्तीय व्यवस्था के लिए खतरा है। मनी लांड्रिंग एक गंभीर अपराध है, जिसमें व्यक्ति अपना लाभ बढ़ाने के लिए राष्ट्र और समाज हित की अनदेखी करता है। इस अपराध को किसी भी तरह से क्षुद्र प्रकृति का अपराध नहीं कहा जा सकता। यह कानून मनी लांड्रिंग गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया है। इसमें वित्तीय प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय प्रभाव डालने वाली मनी लांड्रिंग की गतिविधियां आती हैं, जिसका असर देशों की संप्रभुता और अखंडता पर भी पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के बाद कन्हैया प्रसाद की फिर से गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है। ईडी अब उन्हें कभी भी गिरफ्तार कर सकती है।
यह मामला बिहार में अवैध बालू खनन के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई है।