Bihar Land Mutation: बिहार में जमीन माफियाओं का खेल खत्म, कागजी झंझट से मुक्ति, विवाद पर ऐसे लगेगा लगाम
Bihar Land Mutation: बिहार सरकार ने जमीन से जुड़े लंबे-चौड़े विवादों और माफ़ियाओं के खेल पर नकेल कसने के लिए एक बड़ा तकनीकी दांव खेला है।

Bihar Land Mutation: बिहार सरकार ने जमीन से जुड़े लंबे-चौड़े विवादों और माफ़ियाओं के खेल पर नकेल कसने के लिए एक बड़ा तकनीकी दांव खेला है। दावा है कि अब न तो एक ही प्लॉट कई बार बिकेगा और न ही नक्शों में गड़बड़ी करके लोगों की ज़मीन हड़पी जाएगी। इस मिशन के तहत भूमि सर्वे को पूरी तरह हाई-टेक बनाया जा रहा है, और इसी कड़ी में शुरू हुआ है एकीकृत भू अभिलेख प्रबंधन प्रणाली (ILRMS) और स्थानिक दाखिल-खारिज पोर्टल। खास बात यह है कि यह हाई-टेक सिस्टम IIT रुड़की की देन है।
पहले ज़मीन के रिकॉर्ड दुरुस्त करने के लिए विभागीय कर्मियों को फ़ाइलों से भरा झोला लेकर गांव-गांव घूमना पड़ता था। नतीजा, कागज़ गुम, डेटा में गड़बड़ी, और सालों तक चलते विवाद। मगर अब यह मंजर बदलने वाला है सब कुछ ऑनलाइन हो चुका है। बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जहां स्पेशियली डिजिटाइजेशन की मदद से ज़मीन के नक्शे और रिकॉर्ड को रियल-टाइम में अपडेट किया जाएगा।
जमीन की खरीद-बिक्री के तुरंत बाद राजस्व नक्शा और अधिकार अभिलेख अपने-आप अपडेट हो जाएंगे।दाखिल-खारिज, लगान भुगतान, ई-मापी, भू-संवर्तन, न्यायालय प्रबंधन सब एक ही पोर्टल पर उपलब्ध।हर रैयत को एक यूनिक खाता संख्या मिलेगी, जिसमें ज़मीन का खेसरा सीधे जुड़ जाएगा।ग़लत नाम, फर्जी रिकॉर्ड और दोहरी बिक्री जैसे धोखाधड़ी के मामले बंद हो जाएंगे।
अब तक अक्सर देखा जाता था कि म्यूटेशन में नाम तो बदल जाता, मगर नक्शा पुराना ही रहता, और उसी प्लॉट की दोहरी-तिहरी बिक्री हो जाती। यही वजह है कि भूमि विवाद अदालतों में सालों तक अटके रहते थे। नई प्रणाली में यह समस्या जड़ से खत्म होने का दावा है।
सरकार मान रही है कि यह डिजिटल क्रांति न सिर्फ़ विवाद घटाएगी, बल्कि भरोसेमंद, पारदर्शी और तेज़ सेवा भी देगी। अब रजिस्ट्रेशन के बाद सिस्टम खुद काम करेगा, किसी दलाल या बाबू की सिफारिश की जरूरत नहीं।
अगर यह प्रयोग पूरी तरह सफल हुआ, तो बिहार में ज़मीन खरीदने-बेचने का तरीका पंद्रहवीं सदी से सीधे इक्कीसवीं सदी में पहुंच जाएगा और ज़मीन माफ़िया की दाल गली नहीं, सड़ जाएगी।