बिहार पुलिस में प्रमोशन और बड़े बदलाव की सुगबुगाहट: पटना एसएसपी समेत इतने IPS है केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की जुगत में

बिहार में प्रमोशन और ट्रांसफर-पोस्टिंग के दौर में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों के बीच मचे एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central Deputation) पर जाने की होड़

बिहार पुलिस में  प्रमोशन और बड़े बदलाव की सुगबुगाहट: पटना एसए
बिहार पुलिस में प्रमोशन और बड़े बदलाव की सुगबुगाहट: पटना एसएसपी समेत इतने IPS है केंद्रीय प्रतिनियुक- फोटो : NEWS 4 NATION

बिहार पुलिस महकमे में दिसंबर का महीना बड़े प्रशासनिक बदलावों का संकेत दे रहा है। मध्य दिसंबर बीतने के साथ ही अब राज्य में प्रमोशन और ट्रांसफर-पोस्टिंग का दौर शुरू होने वाला है। जानकारी के अनुसार, लगभग 22 से 24 आईपीएस अधिकारी एसपी से डीआईजी बनने वाले हैं, जबकि तीन डीआईजी को आईजी और एक एडीजी को डीजी रैंक में प्रोन्नत किया जाएगा। इस बड़े फेरबदल के बीच सबसे चर्चा का विषय यह है कि बिहार कैडर के लगभग 20 से अधिक आईपीएस अधिकारी एक साथ राज्य छोड़कर दिल्ली यानी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी में जुट गए हैं।

1993 बैच से 2016 बैच तक IPS सेंट्रल डेपुटेशन की जुगत में 

दिल्ली जाने की इच्छा रखने वाले अधिकारियों की सूची इतनी लंबी हो गई है कि पुलिस मुख्यालय के लिए भी यह चिंता का विषय बन गया है। इस लिस्ट में 1993 बैच से लेकर 2016 बैच तक के अधिकारी शामिल हैं, जिनमें डीजी रैंक से लेकर एसपी स्तर तक के पदाधिकारी अपनी 'गोटी' सेट करने में लगे हैं। राज्य में वर्तमान राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए, जहाँ भाजपा के पास गृह विभाग और उपमुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद हैं, अधिकारी अपनी जाति और रसूख के आधार पर दिल्ली के लिए रास्ता साफ करने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रमुख नामों की बात करें तो 1993 बैच के डीजी जितेंद्र कुमार, जो वर्तमान में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस (B-SAP) के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभारऔर सिपाही चयन आयोग के अध्यक्ष हैं, ने केंद्र में जाने की इच्छा जताई है। बिहार पुलिस एकेडमी की हेड मलवी जी (1995 बैच) भी बिहार से बाहर जाना चाहती हैं, हालांकि उनकी प्राथमिकता दिल्ली के बजाय दक्षिण भारत की कोई एकेडमी है ताकि वे अपने घर के करीब रह सकें। इसके अलावा एडीजी सुधांशु कुमार और के.एस. अनुपम व अमृत राज (पति-पत्नी, 1998 बैच) जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी केंद्रीय सेवाओं में जाने की कतार में खड़े हैं।

अधिकारियों के इस पलायन के पीछे एक बड़ा कारण कार्य संतुष्टि की कमी और पूर्व के अनुभव भी बताए जा रहे हैं। पी.कन्नन, प्रेमलता और राकेश राठी जैसे अधिकारी, जो पहले सीबीआई में काम कर चुके हैं, उनका मन बिहार की वर्तमान कार्यप्रणाली में नहीं लग रहा है। वहीं, पटना के मौजूदा सीनियर एसपी कार्तिकेय शर्मा भी पिछले तीन सालों से आईबी (IB) या रॉ (RAW) में जाने के लिए प्रयासरत हैं।

युवा आईपीएस और फील्ड पोस्टिंग

युवा आईपीएस अधिकारियों में भी बिहार छोड़ने की होड़ दिख रही है। 2010 से 2016 बैच के कई अधिकारी जैसे राजीव मिश्रा, विशाल शर्मा, गौरव मंगला, और विनय तिवारी भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन दे चुके हैं। इनमें से कई अधिकारी या तो विवादों के कारण या फिर फील्ड पोस्टिंग न मिलने के कारण राज्य से बाहर जाना चाहते हैं। कुछ अधिकारियों ने तो यह तक कह दिया है कि उन्हें फील्ड में काम करने के बजाय दिल्ली में प्रतिनियुक्ति दी जाए, ताकि दूसरे अधिकारियों को राज्य में मौका मिल सके।

प्रशासनिक व्यवस्था और सरकार की भूमिका

अंत में, यह सवाल खड़ा होता है कि यदि इतनी बड़ी संख्या में अनुभवी अधिकारी एक साथ राज्य छोड़ देते हैं, तो क्या बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा जाएगी? हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सिस्टम एक तय गाइडलाइन के तहत चलता है और नए अधिकारियों के आने से काम नहीं रुकेगा, लेकिन एक साथ 20 अधिकारियों का जाना जनता के बीच एक नकारात्मक संदेश दे सकता है। अब सबकी नजरें राज्य सरकार और पटेल भवन पर टिकी हैं कि वे इनमें से कितने अधिकारियों के आवेदन को हरी झंडी दिखाते हैं।