Bihar vote percentage: राजद को भाजपा से मिले ज्यादा वोट, फिर क्यों बिहार में एनडीए की प्रचंड लहर में धुएँ का गुबार बनकर उड़ गया महागठबंधन, सियासत के समंदर में आए उफान का जानिए सच

Bihar vote percentage: आरजेडी सबसे अधिक 23 फीसदी वोट के साथ ‘टॉप वोट शेयर’ वाली पार्टी बनी है....

Bihar vote percentage
राजद को भाजपा से मिले ज्यादा वोट- फोटो : social Media

Bihar vote percentage: बिहार की राजनीति में इस बार ऐसा तूफ़ान, ऐसा इंक़लाबी मंजर पैदा हुआ कि पूरा महागठबंधन हवा में बिखरते धुएँ के गुबार की तरह छितरा गया। एनडीए गठबंधन ने ऐसी विजय पताका फहराई कि विपक्ष का पूरा खेमा मानो सियासी रेगिस्तान में खोया हुआ कारवाँ बनकर रह गया।

243 सीटों के नतीजों में एनडीए ने 202 सीटें जीतकर न सिर्फ़ ऐतिहासिक बढ़त हासिल की, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि इस बार जनता ने स्थिरता, रणनीति और ज़मीनी काम पर भरोसा जताया है।

सीटों का पूरा गणित यह रहा

भाजपा: 89

जदयू: 85

एलजेपी (रामविलास): 19

हम: 5

आरएलएम: 4

कुल मिलाकर एनडीए = 202 सीटें

वहीं महागठबंधन बुरी तरह सिमट गया—

आरजेडी: 25

कांग्रेस: 6

लेफ्ट पार्टियाँ: 3

कुल मिलाकर महागठबंधन = 34 सीटें

वोट प्रतिशत का खेल : किसे मिला फायदा, किसके पैरों तले खिसकी ज़मीन

आरजेडी भले ही सबसे अधिक 23 फीसदी वोट के साथ ‘टॉप वोट शेयर’ वाली पार्टी बनी, लेकिन यह उसका ही पिछला आंकड़ा था, जिससे इस बार मामूली गिरावट आई है। 141 सीटों पर लड़कर भी यह असर बढ़त में तब्दील न हो सका।

भाजपा और जदयू, कम सीटों पर लड़ने के बावजूद, अपने वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज कराने में सफल रहीं—

भाजपा: 19.46% → 20.07 फीसदी

जदयू: 15.39% → 19.26  फीसदी

यह बढ़ोतरी साफ़ बताती है कि बूथ प्रबंधन मजबूत था और सत्ता-विरोधी लहर का असर बेहद हल्का रहा। एलजेपी (रामविलास) का वोट शेयर 2020 के 5.66 फीसदी से घटकर 4.98 फीसदी पर आया है, लेकिन इस बार वह केवल 28 सीटों पर लड़ी यह परिणाम उसके जनाधार की मजबूती भी दिखाता है।

कांग्रेस का वोट प्रतिशत 9.48 फीसदी से घटकर 8.72 फीसदी रह गया यह उसके संगठनात्मक ढाँचे की कमजोरी और जनसंपर्क की कमी का सीधा संकेत है। भाकपा (माले) भी 3.16 से 2.84 प्रतिशत पर आ गई। इधर, एआईएमआईएम ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़कर लगभग 2 फीसदी वोट हासिल किए 2020 के मुकाबले यह बढ़त उसके आधार की स्थिरता दर्शाती है।

यह जनादेश केवल जीत-हार का खेल नहीं, बल्कि बिहार के मतदाताओं का साफ़ संदेश है जो ज़मीन पर काम करेगा, वही सियासत में टिकेगा।