Bihar Politics:तुम मुझे जानते नहीं हो...गुस्से में तमतमाए RJD विधायक ने इस अधिकारी को दी जूते मारने की धमकी
Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल के विधायक भाई वीरेंद्र का एक कथित मोबाइल कॉल रिकॉर्डिंग इंटरनेट की गलियों में आग की तरह फैल रहा है।ऑडियो में वह एक अधिकारी को जूते से मारने की धमकी देते सुने जा रहे हैं। ...

Bihar Politics:बिहार की सियासत एक बार फिर उबाल पर है। मनेर से राष्ट्रीय जनता दल के विधायक भाई वीरेंद्र का एक कथित मोबाइल कॉल रिकॉर्डिंग इंटरनेट की गलियों में आग की तरह फैल रहा है। वायरल हो रहे इस ऑडियो में वह एक पंचायत सचिव को जूते से मारने की धमकी देते सुने जा रहे हैं। हालांकि, न्यूज़4नेशन इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता, लेकिन रिकॉर्डिंग की चर्चा चौक-चौराहों से लेकर सोशल मीडिया की दीवारों तक पर गूंज रही है।
वायरल ऑडियो की शुरुआत में एक शख़्स जो खुद को भाई वीरेंद्र बताता है सराय बलुआं के पंचायत सेवक को फोन करता है। जैसे ही सामने वाला व्यक्ति “हां, बोलिए” कहता है, विधायक महोदय का पारा सातवें आसमान पर चढ़ जाता है। वे गर्जते हुए कहते हैं, “तुम मुझे जानते नहीं हो! मैं तुम्हें जूते से मारूंगा! तुम्हें प्रोटोकॉल का ज्ञान नहीं है?”
इस धमकी के बाद पंचायत सचिव भी पीछे नहीं हटते। वे जवाब में वही तेवर अख़्तियार कर लेते हैं और बात करने के सलीके पर विधायक को उल्टा नसीहत देने लगते हैं। यह वार्तालाप कुछ ही पलों में “तू-तू, मैं-मैं” में बदल जाता है, और आवाज़ें जो गूंज रही थीं, अब वायरल हो चुकी हैं।
भाई वीरेंद्र, जो लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते हैं और अक्सर तेजस्वी यादव के पक्ष में खुलकर बोलते रहे हैं, उनके लिए यह ऑडियो विवादों की एक नई लकीर खींच गया है। यह वही भाई वीरेंद्र हैं, जो अक्सर सत्ताधारी दलों को लोकतंत्र की मर्यादा का पाठ पढ़ाते रहे हैं। लेकिन अब जब खुद उनके लहज़े में सत्ता का घमंड और अभद्रता झलक रही है, तो लोग सवाल पूछ रहे हैं क्या जनप्रतिनिधियों को भाषा की सीमा पार करने का भी विशेषाधिकार मिल गया है?
इस प्रकरण पर राजनीतिक हलकों में भी खामोशी और फुसफुसाहट दोनों का दौर चल रहा है। राजनीतिक मर्यादा, लोकतांत्रिक गरिमा और सार्वजनिक व्यवहार पर बहस तेज हो गई है। वायरल ऑडियो की जांच की मांग उठ रही है, और जनता जानना चाह रही है कि क्या इस तरह की धमकियों पर भी कोई कार्रवाई होगी या फिर यह मामला महज़ “राजनीतिक बयानबाज़ी” कहकर रफा-दफा कर दिया जाएगा।
हालांकि, कुछ समर्थक इसे “एडिटेड ऑडियो” बता रहे हैं, तो कुछ विरोधी इसे “शक्तिशाली नेता की असली मानसिकता” करार दे रहे हैं। पंचायत सचिव की हिम्मत की भी चर्चा हो रही है कि कैसे उन्होंने जनप्रतिनिधि के ग़ुस्से के आगे झुकने से इनकार कर दिया।