Bihar Politics: ओवैसी की चिट्ठी को RJD का करारा जवाब—‘बिहार की सियासत से रहें दूर, सेक्युलरिज्म की बात छोड़िए, पहले भरोसा तो बनाएँ’

Bihar Politics: बिहार की सियासी फिजा में इन दिनों गर्म हवाएं चल रही हैं। आगामी विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही दाव-पेंच और चिट्ठियों की जंग तेज हो गई है।

RJD s befitting reply to Owaisi s letter
ओवैसी की चिट्ठी को RJD का करारा जवाब- फोटो : social Media

Bihar Politics: बिहार की सियासी फिजा में इन दिनों गर्म हवाएं चल रही हैं। आगामी विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही दाव-पेंच और चिट्ठियों की जंग तेज हो गई है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की ओर से महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश पर राष्ट्रीय जनता दल  ने दो टूक जवाब देकर साफ कर दिया है कि ओवैसी की पार्टी को बिहार की सियासत में कोई ‘विशेष दावत’ नहीं दी जा रही।

आरजेडी के कद्दावर नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने AIMIM की चिट्ठी को सियासी चश्मे से पढ़ते हुए कहा, "ओवैसी साहब का सियासी दायरा हैदराबाद तक है। बिहार में जब-जब उन्होंने क़दम रखा, उसका फायदा किसे हुआ—ये उन्हें भी मालूम है और देश को भी। कभी-कभी इंतेख़ाब में हिस्सा न लेना भी सेक्युलरिज़्म की ख़िदमत होती है।"

मनोज झा ने ओवैसी को सलाह दी कि अगर वाक़ई में वे बीजेपी को रोकना चाहते हैं, तो सबसे बड़ा कदम यही होगा कि वे बिहार में चुनावी मैदान से खुद को अलग रखें। उन्होंने यह भी कहा कि "तेजस्वी यादव की अगुवाई में महागठबंधन एक मज़बूत विकल्प है।"

वहीं जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तो शब्दों की तलवार और तेज़ चलाई। उन्होंने कहा, “ओवैसी साहब अपने पुराने बयानों को याद करें, और ये भी याद रखें कि आरजेडी ने कैसे उनके चार विधायकों को तोड़ लिया था। बिहार की राजनीति में दान-दक्षिणा के बिना RJD कुछ नहीं करती—यहां तक कि लालू दरवाज़ा भी बिना सियासी सौदे के नहीं खोलते।”

इस विवाद की जड़ AIMIM के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल ईमान की चिट्ठी है, जिसमें उन्होंने लालू प्रसाद यादव से अपील की थी कि AIMIM को महागठबंधन में शामिल किया जाए, ताकि सेक्युलर वोटों का बंटवारा रोका जा सके। ईमान ने लिखा कि AIMIM 2015 से राज्य की राजनीति में सक्रिय है और सांप्रदायिक ताक़तों को रोकने की नीयत से ही काम कर रही है।

लेकिन आरजेडी और जेडीयू के सख़्त रुख से यह साफ़ हो गया है कि ओवैसी को बिहार की सियासत में न ‘वेलकम मैसेज’ मिलेगा, न ‘सेक्युलर सर्टिफिकेट’। अब देखना होगा कि AIMIM इस दरवाज़े के बंद होने के बाद कोशिश जारी रखती है या बिहार से अपना बस्ता समेट लेती है।