Bihar Floods: हे गंगा अब तो रहम करो! पटना में आफत की आहट, उफनाई नदियाँ, डूबते किनारे, सहमे लोग

Bihar Floods: पटना के दीघा और गांधीघाट की सीढ़ियाँ अब डूबने लगी हैं, मानो गंगा माँ अपने ही आंगन को लील रही हो। हाथीदह, मुंगेर, भागलपुर और कहलगांव के तटों पर पानी अब जमीन के भीतर नहीं, ऊपर-ऊपर बहने लगा है।

Bihar Floods

Bihar Floods:हे गंगा! तेरी शांत धारा अब रूद्र रूप धर चुकी है। सावन आने हीं वाला है और उससे पहले हीं बारिश की बौछारें, लेकिन इस बार  नेपाल और झारखंड में पड़ रही बूंदों ने वरदान नहीं, आफत बरसाई है। नेपाल की पहाड़ियों में झमाझम वर्षा से कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक और बागमती नदियाँ क्रोधित हो उठी हैं। इनके जल से गंगा की गोद भर गई है और अब वह सीमाओं को तोड़कर शहरों की चौखट लांघ रही है।

पटना के दीघा और गांधीघाट की सीढ़ियाँ अब डूबने लगी हैं, मानो गंगा माँ अपने ही आंगन को लील रही हो। हाथीदह, मुंगेर, भागलपुर और कहलगांव के तटों पर पानी अब जमीन के भीतर नहीं, ऊपर-ऊपर बहने लगा है। खेत, खलिहान, गलियाँ और घाट—सब कुछ डूबते से लग रहे हैं। गंगा का स्तर पटना में पिछले वर्ष की तुलना में दो मीटर ऊँचा हो चुका है। बक्सर में यह 53.40 मीटर तक पहुँच गई है जो सामान्य से कहीं अधिक है। पटना में हर घंटे दो सेंटीमीटर की गति से बढ़ता जलस्तर अब डरावना सपना बनता जा रहा है।

खासकर दियारा क्षेत्र—जहाँ ज़िन्दगी मिट्टी के किनारों पर साँस लेती है—वहाँ गंगा की धारा ने खेतों को पानी-पानी कर दिया है। जैसे-जैसे पानी गाँवों की ओर बढ़ता है, वैसी ही लोगों के दिलों की धड़कनें भी तेज़ होती जाती हैं। राहत की एक किरण यह है कि गंगा अब भी खतरे के निशान से कुछ नीचे है, परंतु यह संजीवनी कब तक बनी रहेगी, कहना मुश्किल है।

उधर नेपाल में अनवरत बारिश ने बिहार की नदियों में कोहराम मचा दिया है। कोसी सुपौल में चेतावनी सीमा को छूने को आतुर है, तो गंडक गोपालगंज में खतरे से ऊपर बह रही है। घाघरा भी अपने स्तर को लगातार ऊपर खींच रही है।

प्रशासन हरकत में है, मगर गंगा का मूड बदल जाए तो बांध भी बेबस लगने लगते हैं। अब सिर्फ तकनीकी नहीं, ईश्वर से भी दुआओं की जरूरत है। हे माँ गंगे, अब तो रहम करो बहुत सह चुके तेरे तटवासी!