Bihar Politics: जदयू-भाजपा दोनों चाहती है विधानसभा अध्यक्ष पद, बिहार में सत्ता का नया हिसाब–किताब, नई कैबिनेट का ये होगा फार्मूला लागू
Bihar Politics: विधानसभा का अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर भाजपा-जदयू के बीच खामोश लेकिन सियासी लड़ाई जारी है।
Bihar Politics: बिहार की नई सरकार के गठन से पहले कैबिनेट का फ़ाइनल फार्मूला लगभग तय हो चुका है। सत्ता का समीकरण इस बार बिल्कुल गणितीय अंदाज़ में बांधा गया है हर 6 विधायकों पर 1 मंत्री। इसी तर्ज पर बीजेपी और जेडीयू दोनों से 15-15 मंत्री बनाए जाएंगे, जिसमें मुख्यमंत्री का पद शामिल नहीं होगा। लेकिन एक ट्विस्ट है जिसे भी विधानसभा का अध्यक्ष पद मिलेगा, उसकी पार्टी के खाते से एक मंत्री कम हो जाएगा। लिहाज़ा इस अहम कुर्सी को लेकर दोनों दलों के बीच खामोश लेकिन सियासी लड़ाई जारी है।
जेडीयू का कहना है कि विधान परिषद का सभापति पद बीजेपी के पास है, ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष का पद उसे मिलना चाहिए। वहीं बीजेपी का दावा है कि मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा पद जेडीयू के पास है, इसलिए स्पीकर पर उनका स्वाभाविक अधिकार बनता है। यही दलीलों की जंग फिलहाल मंत्रियों की संख्या को भी प्रभावित कर रही है।
इधर लोजपा (आर) को लेकर भी कैलकुलेशन सेट है। अगर उसे डिप्टी सीएम का पद मिलता है, तो पार्टी को 2 मंत्री मिलेंगे। यदि यह पद नहीं मिला, तो 3 मंत्री दिए जाएंगे। हम और रालोमो से 1-1 मंत्री तय माने जा रहे हैं।
नई कैबिनेट में पिछले मंत्रियों की बड़ी संख्या में वापसी की उम्मीद है, क्योंकि सरकार भ्रष्टाचार और अपराध के मुद्दों पर विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती। जिन मंत्रियों पर हाल के दिनों में आरोप लगे थे, उनकी कुर्सी पर ज़रूर तलवार लटक रही है।
कुल मिलाकर विधानसभा के आकार के अनुसार बिहार में सीएम सहित 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। लेकिन शपथ ग्रहण की रूपरेखा को लेकर दो अलग राय चल रही है।
पहला प्रस्ताव— सीएम, डिप्टी सीएम और 5–6 मंत्री पहले शपथ लें, बाकी मंत्रियों को बाद में अवसर दिया जाए।
दूसरा प्रस्ताव—सीएम, दोनों डिप्टी सीएम और करीब 20 मंत्री एक साथ शपथ लें, शेष मंत्रियों का शपथ बाद में हो।
स्पीकर की कुर्सी, डिप्टी सीएम का फार्मूला, और मंत्रालयों का बंटवारा इन तीन मोर्चों पर अभी भी खींचतान जारी है। साफ़ है कि बिहार में नई सरकार बनने के पहले ही सियासी शतरंज का खेल पूरे रंग में है।