Bihar Police: अब नहीं बचेगा कोई 'सिस्टम वाला डॉन', अपराधियों की अवैध संपत्ति जब्त करेगी बिहार पुलिस , लिस्ट तैयार

Bihar Police: बिहार में अब अपराध से बनी इमारतें, बंगले, ज़मीनें सरकार की होंगी।बदमाशों का 'रुतबा' नहीं, 'रजिस्ट्रेशन नंबर' बोलेगा ED, CID और कोर्ट के जरिए।

Bihar Police will seize illegal property
अब नहीं बचेगा कोई 'सिस्टम वाला डॉन'- फोटो : social Media

बिहार में अब ‘माफिया राज’ के दिन लद चुके हैं। एक तरफ अपराधियों पर गोली चल रही है तो दूसरी तरफ अब संपत्ति पर भी सरकार बुलडोजर चला रही है ।बिहार पुलिस ने अब सीधा ऐलान कर दिया है कि जो अपराध से दौलत कमाएगा, वो दौलत अब सरकार के हक में जाएगी।राज्यभर में 1300 से ज़्यादा कुख्यात अपराधियों की चल-अचल संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। इसमें से 10 बड़े अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का आदेश कोर्ट से मिल भी चुका है।इन आदेशों के बाद बदमाशों की नींद उड़ चुकी है, कई माफिया अभी से अपने घर-दुकान बेचकर नाम बदलने की फिराक में हैं।

 सबसे पहले कार्रवाई किशनगंज, गया और मुजफ्फरपुर में!किशनगंज जिले के तीन बड़े नाम रहीमुद्दीन उर्फ हैबर (ठाकुरगंज),चांद हुसैन उर्फ चांद (विशनपुर),और मो. कुर्बान (सदर थाना) की करोड़ों की संपत्ति कोर्ट के आदेश पर जब्त की जा रही है।

गया और मुजफ्फरपुर से दो-दो कुख्यातों के खिलाफ भी यही कार्रवाई शुरू हो चुकी है। वहीं नवादा जिले के कुख्यात बालू माफिया अजय कुमार उर्फ दीपम उर्फ दीपक की संपत्ति पर भी कुर्की की कार्रवाई तेज़ हो गई है।

जहानाबाद और पटना से भी एक-एक अपराधी इस कार्रवाई की चपेट में हैं।

बिहार पुलिस मुख्यालय के मुताबिक 1234 थाना क्षेत्रों से अपराधियों की लिस्ट तैयार की गई है।इनमें सबसे ज़्यादा प्रस्ताव पटना से (82) आए हैं।उसके बाद गया (55), रोहतास (49), मोतिहारी (48), मुजफ्फरपुर व भागलपुर (43-43), मधुबनी (42), नालंदा (41) जैसे जिले टॉप लिस्ट में हैं।दरभंगा, समस्तीपुर, सारण, वैशाली, पूर्णिया, सीवान और बक्सर जैसे जिलों से भी दर्जनों कुख्यात अपराधियों की संपत्ति जब्ती के प्रस्ताव मिल चुके हैं।

एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने साफ शब्दों में कहा है  कि अपराध की आय से संपत्ति अर्जित करने वाले अपराधियों की लिस्ट तैयार है।कोर्ट से 6 मामलों में पहले ही आदेश मिल चुका है, और ये सिलसिला अब नहीं रुकेगा।

बिहार पुलिस अब सिर्फ गिरफ्तारी या एनकाउंटर तक सीमित नहीं रहना चाहती।अब आर्थिक नस दबाई जा रही है, ताकि बदमाशों को लगे कि जुर्म की ज़िंदगी ‘लाल बत्ती नहीं, जेल और जब्ती’ की ओर ले जाती है।कई अपराधी फरार हैं, तो कुछ अब वकीलों से लगातर ज़मानत और रोक के प्रयास कर रहे हैं। सत्ता के करीबी समझे जाने वाले कई माफिया भी अब निशाने पर हैं, जो पहले राजनीतिक संरक्षण की आड़ में बचे रहते थे।