तेज प्रताप को मिला अखिलेश यादव का साथ, वीडियो कॉल पर भावनात्मक संवाद, बिहार की राजनीति में नया समीकरण?
Tej Pratap: बिहार की राजनीति में इन दिनों घटनाक्रम जिस तेजी से बदल रहे हैं, उसने राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है।

Tej Pratap: बिहार की राजनीति में इन दिनों घटनाक्रम जिस तेजी से बदल रहे हैं, उसने राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है। एक ओर जहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने पुत्र तेज प्रताप यादव को परिवार और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तेज प्रताप को भावनात्मक और राजनीतिक समर्थन देकर नए समीकरण की भूमिका रच दी है।
तेज प्रताप यादव ने बुधवार को अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर जानकारी दी कि उनकी अखिलेश यादव से वीडियो कॉल पर लंबी और आत्मीय बातचीत हुई है। बातचीत सिर्फ हालचाल तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति और संभावित चुनावी रणनीतियों पर भी गंभीर विमर्श हुआ। तेज प्रताप ने अपने पोस्ट में लिखा कि जब अखिलेश यादव का अचानक फोन आया तो उन्हें यह अहसास हुआ कि वह अपनी इस "लड़ाई में अकेले नहीं हैं।"
यह संवाद केवल व्यक्तिगत सहानुभूति नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश है—जो तेज प्रताप को संभावित रूप से बिहार के एक नए युवा चेहरे के रूप में पुनर्स्थापित करने का संकेत देता है। अखिलेश यादव द्वारा पूछे गए सवाल—"कहां से चुनाव लड़ेंगे?"—से स्पष्ट होता है कि तेज प्रताप की भावी राजनीतिक भूमिका को लेकर चर्चा गंभीर है। तेज प्रताप ने भी जवाब में कहा कि चुनाव की घोषणा होने पर वह लखनऊ आकर मुलाकात करेंगे।
तेज प्रताप के पारिवारिक और निजी विवादों के बावजूद, अखिलेश यादव द्वारा उनका सार्वजनिक समर्थन करना एक स्पष्ट संकेत है कि समाजवादी खेमा उन्हें राजनीतिक रूप से न केवल महत्व दे रहा है, बल्कि साथ खड़ा भी है। यह कदम राजद नेतृत्व के लिए एक चुनौतीपूर्ण संदेश हो सकता है, विशेषकर तब जब विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो रही हो।बहरहाल राजनीति में भावनाओं का स्थान होता है, लेकिन भावनाओं से उत्पन्न गठजोड़ कब राजनीतिक भूचाल का कारण बन जाए—यह कहना कठिन है।